क्या रुपया करने जा रहा है डॉलर को रिप्लेस? RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने दूर की गलतफहमी
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि यह कहना गलत है कि भारत ने डी-डॉलरीकरण की दिशा में कदम उठाया है. रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में केंद्रीय बैंक के प्रयास का मकसद डॉलर को हटाना नहीं है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि यह कहना गलत है कि भारत ने डी-डॉलरीकरण की दिशा में कदम उठाया है. रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण की दिशा में केंद्रीय बैंक के प्रयास का मकसद डॉलर को हटाना नहीं है.
दास ने मंगलवार देर रात डावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की बैठक में कहा, “डी-डॉलरीकरण की दिशा में आगे बढ़ने की कोई सोच नहीं है. डॉलर प्रमुख मुद्रा बना रहेगा और रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिए हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह डॉलर को हटाना नहीं है." “अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बढ़ती भूमिका के साथ, भारत की अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा है. धीरे-धीरे और लगातार, भारत ने नए बाजारों, देशों और उत्पादों, विशेषकर सर्विस सेक्टर में प्रवेश किया है.
"इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लेनदेन के निपटान के लिए रुपए को वैकल्पिक मुद्रा के रूप में पेश करना है. रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण को डी-डॉलरीकरण की दिशा में एक प्रयास के रूप में देखना गलत है. उन्होंने कहा, "एक ही मुद्रा पर निर्भरता जोखिम भरी हो सकती है. संपूर्ण वैश्विक व्यापार उस विशेष मुद्रा की अस्थिरता के अधीन हो जाता है."
दास ने कहा कि आरबीआई मुद्रा स्थिरता हासिल करने में कामयाब रहा है, जिससे विदेशी कंपनियों के लिए भारत में निवेश करना और घरेलू कंपनियों के लिए विदेशों में पूंजी बाजार का लाभ उठाना आसान बन गया है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति कम हो रही है और लगातार केंद्रीय बैंक के 4 प्रतिशत लक्ष्य के करीब पहुंच रही है, जबकि विकास की संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं.
दास ने यह भी कहा कि क्रिप्टोकरेंसी एक बड़ा जोखिम पैदा करती है, खासकर उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के लिए. यह आपकी वित्तीय स्थिरता, मुद्रा स्थिरता और मौद्रिक प्रणाली को प्रभावित कर सकती है. उन्होंने कहा, "एक उत्पाद के रूप में क्रिप्टोकरेंसी एक सट्टा है और मेरी और रिजर्व बैंक की राय है कि इसके चारों ओर बड़े जोखिम को देखते हुए, भारत जैसे देशों को बहुत सावधान रहना चाहिए."