जब भी RBI के रेपो रेट (Repo Rate) में इजाफा होता है, बैंक का कर्ज भी महंगा हो जाता है. ऐसे में ईएमआई (EMI) का बोझ बढ़ जाता है जो आम आदमी के घर के बजट को प्रभावित करता है. हाल ही में आरबीआई ने पांचवी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है. आर्थिक विश्‍लेषकों की मानें तो ये सिलसिला अभी भी थमा नहीं है, यानी आने वाले समय में फिर से रेपो रेट बढ़ सकता है और उसके कारण लोन महंगे हो सकते हैं. ऐसे में सबसे ज्‍यादा असर होम लोन (Home Loan) लेने वालों पर होता है क्‍योंकि ये बहुत लबे समय का कर्ज होता है. अगर आपने भी बैंक से लोन लिया हुआ है और होम लोन की बढ़ती ईएमआई से घर का फाइनेंशियल बजट गड़बड़ा गया है, तो यहां जानिए वो 4 उपाय जो आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं. 

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रीफाइनेंस करें

अगर आपको लगता है कि आपका बैंक ज्‍यादा ब्‍याज ले रहा है, जबकि अन्‍य बैंक में होम लोन उसकी तुलना में कम ब्‍याज पर है, तो आप  रीफाइनेंस यानी बैलेंस ट्रांसफर का ऑप्‍शन चुन सकते हैं. लेकिन बैलेंस ट्रांसफर कराते समय आपको प्रोसेसिंग फीस और MOD चार्जेस जैसे तमाम खर्च भी देने होते हैं, इसलिए बैलेंस ट्रांसफर के ऑप्‍शन को तभी चुनें जब लोन लिए हुए आपका कुछ ही समय हुआ हो और आपका आधे से ज्‍यादा समय का लोन बाकी हो.

लोन की अवधि बढ़वाएं

अगर आपकी बढ़ी हुई ईएमआई से घर के बजट पर बहुत ज्‍यादा असर पड़ रहा है, तो आप अपने लोन की अवधि को बढ़वा सकते हैं. इससे आपकी ईएमआई छोटी हो जाएगी. हालांकि लोन पीरियड को बढ़वाने का एक बड़ा नुकसान ये है कि आपको ब्‍याज ज्‍यादा देना होता है.

प्रीपेमेंट करें

अगर आपके पास एकमुश्‍त थोड़ा पैसा है, तो आप प्रीपेमेंट करके अपने लोन के बोझ को कुछ हद तक कम कर सकते हैं. आप साल में कम से कम एक बार प्री-पेमेंट कर सकते हैं. इससे आपका प्रिंसिपल अमाउंट यानी मूलधन कम होता है, साथ ही कुल ब्‍याज भी कम होता है. इससे आपकी ईएमआई भी छोटी हो जाती है. अगर आप बीच-बीच में प्रीपेमेंट करते रहते हैं तो आपका लोन भी समय से पहले ही खत्‍म हो सकता है.

ईएमआई बढ़वाएं

ईएमआई को स्‍वेच्‍छा से बढ़वाने का फैसला वही लोग ले सकते हैं, जो आर्थिक रूप से सक्षम हों. अगर आप इस ऑप्‍शन को चुनते हैं, तो इससे आपकी ईएमआई जरूर बढ़ेगी, लेकिन आपका मूलधन कम होगा और लोन पर चुकाने वाला कुल ब्‍याज भी कम होगा. इससे आपका लोन जल्‍दी खत्‍म होगा. ईएमआई बढ़वाने का विकल्‍प  छोटे-छोटे प्री-पेमेंट की तरह है.