भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैठक के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई अहम बातें कहीं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों को अपने कोर पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. बैंकों को अपने डिपॉजिट को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. बैंकों का सबसे अहम काम है डिपॉजिट लेना और फिर लोगों को लोन देना. बांग्लादेश के हालात पर उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से टेक्सटाइल और गारमेंट में निवेश को लेकर चिंता है. इन दो सेक्टर को छोड़ कर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अभी बैंकों का डिपॉजिट धीरे चल रहा है. बैंकों को कुछ इनोवेटिव और आकर्षक पोर्टफोलियो लाने के बारे में सोचना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग बैंकों में पैसे जमा करें. अभी लोगों को अधिक रिटर्न पाने के लिए कई रास्ते दिख रहे हैं, जिनमें से एक शेयर बाजार भी है. यही वजह है कि शेयर बाजार में रिटेल निवेश काफी बढ़ा है. लोग बैंकों में पैसे जमा करें, इसके लिए बैंकों को कुछ इनोवेटिव करने की जरूरत है. सीतारमण ने कहा, ‘‘जमा और उधार एक गाड़ी के दो पहिए हैं और जमा धीरे-धीरे चल रहा है.’’सीतारमण ने जमा और कर्ज के बीच अंतर को दूर करने के लिए बैंकों से लोगों से धन जुटाने के लिए ‘अनूठी और आकर्षक’ जमा योजनाएं लाने को कहा. 

निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकिंग विनियमन संशोधन ला रहे हैं. संशोधन अधिनियम लाने के कई कारण हैं. यह कुछ समय से लंबित था और इसका लंबे समय से इंतजार हो रहा है. यह ग्राहकों के हिसाब से एक अनुकूल कदम है. निर्मला सीतारमण ने कहा, "मुझे लगता है कि ग्राहकों के लिए यह विकल्प होना महत्वपूर्ण है और यह भी सुनिश्चित करना है कि बाद में नॉमिनी को अपनी सही चीज का दावा करने में कोई दिक्कत ना हो."

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, "नॉमिनेशन का मुद्दा लंबे समय से लंबित था और शुक्रवार को जारी की गई इस रिपोर्ट से बैंकों के लिए कारोबार करने में आसानी में सुधार हुआ है और तुलनात्मक रूप से यह अच्छा है. जहां तक ​​दावा ना की गई जमा राशियों का सवाल है, पिछले साल हमने एक विशेष अभियान शुरू किया था. इसके तहत हमने प्रत्येक बैंक को सलाह दी थी कि हर ब्रांच को उनके पास मौजूद दावा न किए गए जमा राशियों की संख्या के आधार पर, सक्रिय रूप से अपने स्तर पर आगे बढ़ना चाहिए. टॉप-10 दावा न की गई जमा राशियों की पहचान करने के लिए विशेष कदम उठाने चाहिए और उन लोगों तक पहुंचना चाहिए. इस मामले में प्रगति संतोषजनक रही है."

शक्तिकांत दास ने कहा था कि बैंक कर्ज की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अल्पकालिक गैर-खुदरा जमा और देनदारी के अन्य साधनों का अधिक सहारा ले रहे हैं. दास ने आगाह करते हुए कहा कि यह बैंकों में संरचनात्मक रूप से नकदी के मुद्दों को सामने ला सकता है. इसीलिए, बैंक नवीन उत्पादों और सेवा पेशकशों के माध्यम से और अपने विशाल नेटवर्क का लाभ उठाकर घरेलू वित्तीय बचत जुटाने पर अधिक ध्यान दे सकते हैं. बैंक ब्याज दरों की अस्थिरता के सवाल पर शक्तिकांत दास बोले, "बैंक अपनी जमा दरें तय करते हैं और वे अपनी ब्याज दरें भी तय करते हैं. यह स्थिति बैंक दर बैंक अलग-अलग हो सकती है. मुझे लगता है कि हमारी वास्तविक ब्याज दरें बहुत अस्थिर नहीं रही हैं. वे काफी हद तक स्थिर हैं."

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि क्रेडिट और डिपाजिट रेट डी-रेगुलेट हैं. बैंक को फ़ैसला लेना है कितना क्रेडिट और डिपाजिट रेट रखना है. डिपाजिट रेट को रेगुलेट करने से मार्केट बिखर जाएगा. CASA डिपॉजिट 43 परसेंट से घटकर 39 फीसदी पर आ गया है.