I-CRR: लिक्विडिटी पर कितना असर होगा? एक्सपर्ट से समझिये RBI के इस फैसले के मायने
RBI MPC I-CRR Measures: 31 जुलाई तक बैंकिंग सिस्टम में 3.14 लाख करोड़ रुपये वैल्यू के 2,000 रुपये के नोट वापस आ गए थे. यह सर्कुलेशन की कुल वैल्यू का करीब 88 फीसदी है.
(Image: Reuters)
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RBI MPC I-CRR Measures: 2,000 रुपये के करेंसी नोट वापस लेने से सिस्टम में जरूरत से ज्यादा नकदी को कम करने के लिए रिजर्व बैंक ने एक अहम कदम उठाया है. लिक्विडिटी यानी नकदी घटाने के लिए RBI ने बैंकों को 19 मई-28 जुलाई 2023 के बीच NDTL (नेट डिमांड टाइम लायबिलिटी) में अतिरिक्त 10 फीसदी ICRR मेंटेन करने को कहा है. RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने पॉलिसी ऐलान करते हुए कहा कि ज्यादा लिक्विडिटी प्राइस, फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के लिए खतरा है. ऐसे में रिजर्व बैंक की ओर से अतिरिक्त नकदी को सिस्टम से हटाने के लिए ICCR का उपाय भी किया गया है. यह नियम 12 अगस्त से लागू हो जाएगा. एक्सपर्ट मानते हैं कि यह लिक्विडिटी मैनेजमेंट का तरीका है. साथ ही इससे रिजर्व बैंक का 'हॉकिश' रुख का भी पता चलता है. 'हॉकिश' रुख का मतलब है कि केंद्रीय बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने के पक्ष में है. भले ही इसका असर जीडीपी ग्रोथ और रोजगार पर देखने को मिले.
पहले समझें क्या है I-CRR
इंक्रिमेंटल कैश रिजर्व रेशियो यानी I-CRR एक ऐसा तरीका है, जिसके जरिए रिजर्व बैंक बैंकिंग सस्टिम में अचानक बढ़ी हुई लिक्विडिटी को कम करने के लिए इस्तेमाल करता है. ऐसा इसलिए क्योंकि बैंकिंग सिस्टम में डिपॉजिट (लिक्विडिटी) को सही स्तर पर लाने के लिए अतिरिक्त लिक्विडिटी को हटाना जरूरी है. पॉलिसी जारी करने के दौरान शक्तिकांत दास ने कहा कि कीमतों में स्थिरता और बैंकिंग सिस्टम में स्टैबिलिटी के लिए ICRR के जरिए अतिरिक्त लिक्विडिटी को हटाना जरूरी है. इसका असर महंगाई दर पर भी देखने को मिलेगा. हालांकि, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि नकदी को कम करने के लिए यह उपाय अस्थायी यानी थोड़े समय के लिए है. रिजर्व बैंक 8 सितंबर 2023 या उससे पहले इसकी समीक्षा करेगा.
बता दें, केंद्रीय बैंक (RBI) ने 19 मई को 2,000 रुपये के करेंसी नोट वापस लेने का ऐलान किया था. उसने कहा था कि जिन लोगों के पास 2000 रुपये के नोट हैं, वो इसे एक्सचेंज कर सकते हैं या अपने बैंक अकाउंट में डिपॉजिट कर सकते हैं. 31 जुलाई तक बैंकिंग सिस्टम में 3.14 लाख करोड़ रुपये वैल्यू के 2,000 रुपये के नोट वापस आ गए थे. यह सर्कुलेशन की कुल वैल्यु का करीब 88 फीसदी है.
I-CRR: एक्सपर्ट से समझें इसके मायने
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HDFC बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरूआ का कहना है, रिजर्व बैंक ने रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर रखा है लेकिन इसका संदेश साफ तौर पर 'हॉकिश' है. FY24 की दूसरी तिमाही में महंगाई दर का लक्ष्य 100 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 6.2 फीसदी करना और I-CRR के जरिए बैंकों के लिए लिक्विडिटी सख्त करना है. उनका कहना है कि ICRR के फैसले से 60-70 हजार करोड़ की नकदी सिस्टम से कम हो सकती है. हालांकि इस फैसले की सितंबर में समीक्षा होगी और यह अस्थायी फैसला है. लेकिन अगर महंगाई का दबाव बना रहता है, तो इस बात की संभावना है कि इसे आगे भी जारी रखा जा सकता है.
Emkay ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की लीड इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा का कहना है, NDTL (May 19 से July 28) में 10 फीसदी ICRR से अस्थायी रूप से 1.15 लाख करोड़ या 99 हजार करोड़ रुपये की लिक्विडिटी कम होगी. इससे इस अवधि में प्रभावी CRR 14.5 फीसदी (4.5%+10%) हो जाएगा. कुल मिलाकर, इससे बैंकों को ब्याज का नुकसान होगा क्योंकि बैंक शॉर्ट टर्म लिक्विडिटी को RBI के पास VRRR में नकदी रखने की बजाय शॉर्ट टर्म पर्सनल लोन (STPL) और मनी मार्केट में लगा रहे थे.
उनका कहना है, कुछ बैंकों (विशेष रूप से PSB) को 2000 रुपये के नोटों की वापसी के चलते जरूरत से ज्यादा आई नकदी से दूसरों की तुलना में ज्यादा फायदा हुआ, जबकि अन्य ने दरों में वृद्धि करके जमा हासिल करने में काफी मशक्कत की. हालांकि सभी बैंकों को ICRR बनाए रखना होगा. जिन बैंकों को 2000 रुपये के करेंसी नोटों की वापसी से ज्यादा लाभ नहीं हुआ, उन्हें नुकसान हो सकता है.
एलएंडटी फाइनेंस की ग्रुप चीफ इकोनॉमिस्ट डॉ. रूपा रेगे नित्सुरे का कहना है, रिजर्व बैंक का यह कदम पॉजिटिव है, जो महंगाई के टारगेट पर मजबूती से फोकस करने का संकेत देता है.. 2000 रुपये के नोटों की वापसी से पैदा होने वाली इंक्रीमेंटल लिक्विडिटी पर 10 फीसदी का इंक्रीमेंटल सीआरआर (CRR) लगाना, आरबीआई की ओर से लिक्विडिटी के कुशल प्रबंधन को दर्शाता है.
बड़ौदा बीएनपी परिबा म्यूचुअल फंड के CIO प्रशांत पिंपले का कहना है, आरबीआई ने उम्मीद के मुताबिक रेपो रेट 6.50% पर स्थिर रखा. साथ ही महंगाई को 4 फीसदी टारगेट बैंड के भीतर बनाए रखने पर कायम है. अतिरिक्त लिक्विडिटी को कम करने के लिए अस्थायी रूप से RBI ने 10 फीसदी इंक्रीमेंटल सीआरआर (ICRR) बनाए रखने का निर्णय लिया. यह उपाय वेरिएबल रेपो रेट (VRR) और वेरिएबल रिवर्स रेपो रेट (VRRR) ऑक्शन जैसे डेली उपायों के अलावा है.
मास्टर कैपिटल सर्विसेज की डायरेक्टर पल्का अरोड़ा चोपड़ा का कहना है, बैंकों के लिए 10 फीसदी ICRR के फैसले से सिस्टम में नकदी कम होगी. हमारा मानना है कि इसका लंबी अवधि में बैंकों पर कोई बढ़ा असर नहीं होगा. मजबूत एसेट क्वालिटी, दमदार क्रेडिट ग्रोथ और बेहतर कैपिटलाइजेशन के दम पर बैंकिंग सेक्टर मजबूत बना रहेगा.
I-CRR: बैंकिंग शेयरों पर क्या करें निवेशक
SAMCO सिक्युरिटीज के हेड (मार्केट एंड रिसर्च) अपूर्वा सेठ का कहना है कि रिजर्व बैंक ने भले ही रेपो रेट बिना बदलाव के रखा है. लेकिन बैंकों को अपने NDTL में 10 फीसदी I-CRR मेन्टेन करने से फैसला कर एक ट्वीस्ट दिया है. आरबीआई के इस कदम से बैंकिंग सिस्टम से करीब 95 हजार करोड़ नकदी कम होगी. 2000 के करेंसी नोट वापस आने से बैंकों में जरूरत से ज्यादा नकदी हो गई है.
उनका कहना है, इस फैसले का असर गुरुवार को शेयर बाजार में बैंकिंग स्टॉक्स पर निगेटिव असर देखने को मिला. ऐसा इसलिए क्योंकि ICRR के अंतर्गत रखे फंड पर बैंकों को बतौर ब्याज कोई कमाई नहीं होगी. RBI के इस कदम का एक हेल्दी करेक्शन बाजार में आ सकता है. अगर बैंक निफ्टी 44,500 के नीचे आता है तो यह 43,500 का लेवल भी दिखा सकता है. यह बैंक निफ्टी का अहम सपोर्ट लेवल होगा, जहां निवेशक अच्छी क्वॉलिटी के बैंकिंग स्टॉक्स ले सकते हैं.
07:03 PM IST