RBI ने PoS मशीनों की जियो टैगिंग का फाॉर्मेट किया जारी, डिजिटल पेमेंट की होगी निगरानी
जियो-टैगिंग का मतलब दुकानदार की तरफ से अपने कस्टमर्स से भुगतान (पेमेंट) पाने के लिए पेमेंट टच प्वाइंट की भौगोलिक स्थिति (अक्षांश और देशांतर) चिह्नित करने से है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पेमेंट स्वीकार करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता की सह निगरानी के लिए भुगतान प्रणाली टच प्वाइंट की जियो-टैगिंग (geo-tagging) का प्रारूप शुक्रवार को जारी किया. पीटीआई की खबर के मुताबिक, जियो-टैगिंग का मतलब दुकानदार की तरफ से अपने कस्टमर्स से भुगतान (पेमेंट) पाने के लिए पेमेंट टच प्वाइंट की भौगोलिक स्थिति (अक्षांश और देशांतर) चिह्नित करने से है. पीओएस टर्मिनल (POS terminal) और क्यूआर कोड (QR Code) के जरिये यह पेमेंट स्वीकार किया जाता है.
पेमेंट एक्सेप्टेंस इन्फ्रा पर जोर
खबर के मुताबिक, आरबीआई (RBI) ने जियो-टैगिंग से जुड़े अपने फॉर्मेट (प्रारूप) में कहा कि वह डिजिटल पेमेंट (digital payment) को विस्तार देने और सभी नागरिकों को समावेशी पहुंच मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है. उसने कहा कि इस मकसद को हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि देश भर में मजबूत भुगतान स्वीकृति ढांचा (payment acceptance framework) मौजूद होने के साथ पहुंच के भीतर भी हो.
डिजिटल भुगतान की व्यवस्था में आई है तेजी
आरबीआई ने कहा कि पेमेंट सिस्टम टच प्वाइंट की जियो-टैगिंग की निगरानी से भुगतान ढांचे के डिस्ट्रीब्यूशन को बढ़ाने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप (policy intervention) को समर्थन मिलेगा. पिछले कुछ सालों में देश भर में डिजिटल भुगतान की व्यवस्था का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है. कई तरह की भुगतान प्रणालियों, मंचों, उत्पादों और सेवाओं को उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा रहा है.
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जियो-टैगिंग की सूचना आरबीआई को देनी होगी
आरबीआई के मसौदा-पत्र के मुताबिक, बैंक और गैर-बैंकिंग भुगतान प्रणाली संचालक सभी भुगतान टच प्वाइंट की सटीक भौगोलिक स्थिति को अपने पास रखेंगे. इसके अलावा पीओएस मशीनों और क्यूआर कोड से संबंधित जियो-टैगिंग की सूचना आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) को देनी होगी.