रिजर्व बैंक (RBI) ने कोरोना वायरस के संक्रमण से देश की वित्तीय प्रणाली को सुरक्षित और चाक-चौबंद रखने के लिये आपात स्तर पर एक ‘युद्ध-कक्ष- War Room’ तैयार किया है. इस कक्ष में रिजर्व बैंक के 90 महत्वपूर्ण कर्मचारी काम कर रहे हैं. रिजर्व बैंक (RBI) ने यह वॉर रूम आकस्मिक कार्य योजना (बीसीपी) के तहत तैयार किया है. यह 24 घंटे काम कर रहा है.

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इस वॉर रूम में रिजर्व बैंक के 90 सबसे महत्वपूर्ण लोग काम कर रहे हैं. इनके अलावा बाहरी वेंडरों के 60 मुख्य कर्मी तथा अन्य सुविधाओं के करीब 70 लोग भी कक्ष के लिये काम कर रहे हैं.

रिजर्व बैंक के कर्मचारियों के साथ ही देश की वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा के लिये कक्ष का परिचालन इस तरह नियंत्रित है कि किसी भी समय एक साथ सिर्फ 45 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं, शेष 45 को काम का बोझ बढ़ने की स्थिति के लिये सुरक्षित रखा जा रहा है.

यह पहली बार है जब दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक ने इस तरह की बीसीपी पर अमल किया है. यह RBI के इतिहास में भी पहली बार है क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध के समय भी इस तरह की व्यवस्था नहीं की थी.

यह कक्ष जिन महत्वपूर्ण क्रियाकलापों को संभाल रहा है, उनमें ऋणपत्र प्रबंधन, भंडार प्रबंधन और मौद्रिक परिचालन शामिल है.

बीसीपी के तहत रिजर्व बैंक के अन्य डेटा सेंटर स्ट्रक्चर्ड फाइनेंशियल मैसेजिंग सिस्टम (एसएफएमएस), रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं संभाल रहे हैं.

इनके अलावा ई-कुबेर की भी व्यवस्था की गयी है, जिसके तहत केंद्र तथा राज्य सरकारों के लेन-देन और एक बैंक से दूसरे बैंक के लेन-देन आदि को संभाला जा रहा है.

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यह एक ऐसा मॉडल है जिसे वित्तीय प्रणाली में तथा संभवत: पूरी दुनिया में पहली बार अमल में लाने का प्रयास किया जा रहा है. सामान्य बीसीपी सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर की दिक्कतों, आग लगने तथा प्राकृतिक आपदाओं के लिये होता है. इस तरह की योजना किसी के पास नहीं है जैसी रिजर्व बैंक ने कोरोना वायरस महामारी के लिये तैयार की है.

सामान्यत: रिजर्व बैंक अरबों लेन-देन का प्रबंधन करता है और इसके केंद्रीय व 31 क्षेत्रीय कार्यालयों में करीब 14 हजार लोग काम करते हैं. जिन महत्वपूर्ण सेवाओं को कक्ष से संभाला जा रहा है, इनका प्रबंधन करीब 1,500 लोग मिलकर करते हैं.