अगर आप नोटों और सिक्कों के साइज बदलने से परेशान हैं और इससे आप नोट पहचानने में गलती कर जाते हैं, तो ऐसा सिर्फ आपके साथ नहीं है. बड़ी संख्या में लोग ऐसी परेशानी का सामना कर रहे हैं. इसके चलते बॉम्बे हाई कोर्ट ने रिजर्व बैंक को फटकार लगाई है. कोर्ट ने आरबीआई से पूछा था कि वह करंसी नोटों और सिक्कों के फीचर्स और साइज बार-बार क्यों बदलता रहता है? इस बारे में आरबीआई की तरह से जवाब देने के लिए और समय की मांग की गई, जिसके चलते कोर्ट ने ये फटकार लगाई.

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बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस भारती डांगरे की बेंच ने आरबीआई से पूछा था कि आखिर नोट की साइज बार-बार बदलने की उसकी क्या मजबूरी है? आरबीआई के वकील ने नोट बदले जाने की हिस्ट्री, कारणों की तलाश और आंकड़े जुटाने के लिए समय की मांग की. इस पर चीफ जस्टिस नंदराजोग ने कहा, 'जवाब देने के लिए आपको आंकड़े की जरूरत नहीं है. हम आपसे यह नहीं पूछ रहे हैं कि आपने कितने नोट छापे.' इस बारे में नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड ने याचिका दायर की है.

चीफ जस्टिस ने कहा, 'कम-से-कम इतना तो कह दीजिए कि भविष्य में नोटों का आकार नहीं बदला जाएगा. अगर आप यह कह देंगे तो समस्या करीब-करीब खत्म हो जाएगी.' आरबीआई को जवाब देने के लिए अब दो हफ्ते का वक्त दिया गया है. इससे पहले हाई कोर्ट ने आरबीआई को 1 अगस्त तक जवाब देने का आदेश दिया था कि आखिर नोट की साइज बार-बार बदलने की उसकी क्या मजबूरी है.

बॉम्बे हाई कोर्ट के जजों ने कहा कि आरबीआई अपनी शक्तियों का इस तरह इस्तेमाल नहीं कर सकता है कि लोगों को तकलीफ हो. उन्होंने कहा कि कोई नागरिक पीआईएल फाइल यह भी पूछ सकता है कि एक रुपये का नोट सर्कुलेशन से बाहर क्यों हो गया है. वह तो लीगल टेंडर है.