केंद्र सरकार ने बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) में विजया बैंक और देना बैंक के विलय को मंजूरी दे दी है. अप्रैल से विजया बैंक और देना बैंक का कामकाज बॉब प्रबंधन देखेगा. इस बीच, एक मीडिया रपट में विजया बैंक और देना बैंक के कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि बॉब प्रबंधन उनसे 'एकतरफा' और 'भेदभाव' वाला कांट्रेक्‍ट साइन करने के लिए दबाव बना रहा है. हालांकि अभी भत्‍तों को लेकर बातचीत जारी है, लेकिन अन्‍य दोनों बैंकों के कर्मचारियों को बॉब से एक कांट्रेक्‍ट लेटर मिला है. इसमें कहा गया है कि वे इस लेटर पर साइन कर दें या फिर VRS ले लें.

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न्‍यू इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के मुताबिक इस कांट्रेक्‍ट लेटर में रोजगार की शर्त का कोई जिक्र नहीं है. पत्र में कहा गया है कि रोजगार की शर्त बॉब बोर्ड बाद में तय करेगा. पत्र में कहा गया है-'आप सभी 1 अप्रैल 2019 से बॉब की सेवा नियमावली में आ जाएंगे. सेवा नियमावली की शर्तें बॉब बोर्ड तय करेगा.'

यह पत्र आने के बाद देना और विजय बैंक के कर्मचारियों ने इसे 'भेदभावपूर्ण' कहा है. विजय बैंक के 1 कर्मचारी ने कहा कि हमें बताया गया था कि हमारे हित सुरक्षित रहेंगे. लेकिन बॉब प्रबंधन हम पर दबाव बना रहा है. हमें बिना सेवा शर्तें जानें कांट्रेक्‍ट पर हस्‍ताक्षर के लिए बाध्‍य नहीं किया जा सकता. अब तक हुई बातचीत में हमारी सेवा शर्तें बॉब के स्‍टाफ की सेवा शर्तों से मेल नहीं खातीं. यह भेदभावपूर्ण है.

बैंक यूनियन ने पूरी प्रक्रिया को अवैध करार दिया है. ऑल इंडिया बैंक आफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव एस नागराजन ने कहा कि विलय की पूरी प्रक्रिया अवैध और जल्‍दबाजी में हो रही है. क्‍योंकि सुप्रीम कोर्ट में याचिका विचाराधीन है, वे लोग कर्मचारियों पर कांट्रेक्‍ट पर साइन करने का दबाव बना रहे हैं.