मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेस ने मंगलवार को कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निदेशक मंडल के निर्णय से बैंकों को बासेल-3 नियमों को लागू करने के लिए और समय मिल जाएगा. बासेल-3 दिशानिर्देश सरकारी बैंकों की ‘ऋण जारी’ करने की क्षमता के लिए पूंजी पर्याप्तता से संबद्ध हैं. रेटिंग एजेंसी ने बयान में कहा कि छोटे एवं मझोले उद्योगों के 25 करोड़ रुपये तक की कुल पूंजी के ऋणों के पुनर्गठन के फैसले में भारतीय बैंकों के ऋण प्रोफाइल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की काफी संभावना है.

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उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच भारी तनातनी के बीच सोमवार को आरबीआई के निदेशक मंडल की बैठक हुई. इसमें बैंकों के पूंजी दबाव को कम करने और छोटे एवं मझोले कारोबारों को अधिक कोष उपलब्ध कराने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. नौ घंटे चली इस बैठक में निदेशक मंडल ने छोटे एवं मझोले उद्योगों के 25 करोड़ रुपये तक की कुल पूंजी के ऋणों के पुनर्गठन का सुझाव दिया.

मूडीज के उपाध्यक्ष (वित्तीय संस्थान समूह) श्रीकांत वाड्लामनी ने कहा, ‘‘हालांकि बैठक की और जानकारियां आना अभी बाकी है. लेकिन अभी भी इस तरह के फैसले से भारतीय बैंकों के ऋण प्रोफाइल पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है.’’हालांकि आरबीआई बोर्ड ने बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता को नौ प्रतिशत पर रखने का निर्णय किया है.

लेकिन पूंजी संरक्षण बफर (सीसीबी) के तहत इसकी आखिरी 0.625 प्रतिशत की किस्त को लागू करने की समयसीमा को एक साल 31 मार्च, 2020 तक बढ़ाने पर सहमत हो गया है. सीसीबी अभी 1.875 प्रतिशत है और मार्च 2019 के अंत तक इसे 0.625 प्रतिशत और बढ़ाया जाना था.

(इनपुट एजेंसी से)