वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) द्वारा साफ-सुथरे तरीके से मध्यस्थता सुनिश्चित करना घरेलू बैंकिंग क्षेत्र के समक्ष उपस्थित प्रमुख चुनौतियों में से एक है. उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को अधिक जवाबदेह बनाना एक अन्य चुनौती है. उन्‍होंने यह भी कहा कि आर्थिक विकास दर बढ़ाने के लिए और ज्‍यादा बैंक सुधार कार्यक्रमों की जरूरत पड़ेगी.

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उन्होंने कहा कि सरकार ने कई प्रयास किये हैं जिससे एनपीए में कमी आयी है और वसूली तेज हुई है. कुमार ने कहा कि एनपीए वसूली बढ़कर पिछले चार साल में 3.62 लाख करोड़ रुपये और चालू वित्त वर्ष में 1.20 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गयी है. उन्होंने कहा कि एनपीए समस्या से जूझ रहे बैंकों को सरकार ने मार्च 2015 से तीन लाख करोड़ रुपये दिये हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘बैंकिंग क्षेत्र के समक्ष भविष्य के लिये प्रमुख चुनौती यह सुनिश्चित करना बना हुआ है कि वित्तीय संस्थानों की मध्यस्थता स्वच्छ एवं निष्पक्ष रहे, ये संस्थान चाहे सरकारी बैंक हों, निजी बैंक हों या एनबीएफसी हों. हम यह कैसे देख सकते हैं कि क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां अधिक जवाबदेह हुई हैं, यह दूसरी चुनौती है.’’