केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 10 बड़े सरकारी बैंकों को मर्ज करके 4 बैंक बनाने के फैसले पर अपनी मंजूरी दी थी. कैबिनेट के इस फैसले पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने का काम जारी है. विलय एक अप्रैल 2020 से प्रभाव में आ जाएगा.

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इस निर्णय के तहत यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स का विलय पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में, इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में और आंध्र बैंक तथा कॉरपोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में करने का प्रस्ताव है.

तालाबंदी का ऐलान

सरकार के इस फैसले पर बैंक कर्मचारियों में विरोध के स्वर फूटने लगे हैं. बैंकों के वियल के खिलाफ बैंक कर्मचारी संगठन लामबंद होने लगे हैं. बैंक कर्मचारियों के दो बड़े संगठनों ने सरकार के इस निर्णय का विरोध करते हुए हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है. कर्मचारी संगठनों ने 27 मार्च पर बैंकों में काम रोकने का फैसला किया किया है.

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए- AIBEA) और अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (AIBOA) ने 27 मार्च को बैंकों में तालाबंदी का ऐलान कर दिया है. 

AIBEA के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने बताया कि बैंक पहले से ही तमाम समस्याओं का सामना कर रहे हैं. खराब ऋणों के चलते बैंकों की स्थिति ठीक नहीं है. जबकि, सार्वजनिक बैंकों ने 31 मार्च, 2019 तक कुल 1,50,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था. 

उन्होंने सवाल उठाया कि मर्जर के बाद कॉरपोरेट सेक्टर के खराब ऋणों की वसूली संभव हो पाएगी. उन्होंने कहा कि कुछ बैंकों का भारतीय स्टेट बैंक में विलय के बाद एसबीआई के खराब ऋणों में इजाफा हुआ है. और यही समस्या अन्य बैंकों के सामने है.

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सीएच वेंकटचलम ने बताया कि जब मर्जर के बाद बैंकों की समस्याएं खत्म होने के बजाए और बढ़ रही हैं तो फिर मर्जर का फायदा क्या है. उन्होंने कहा कि उनकी यूनियन ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ 27 मार्च को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. 

पिछले साल देना बैंक और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय कर दिया गया है. इससे पहले सरकार ने एसबीआई के पांच एसोसिएट बैंक तथा भारतीय महिला बैंक का भारतीय स्टेट बैंक में विलय किया था.