Bank Rules: प्रॉपर्टी नीलाम करने से पहले बैंक Loan Borrower देता है कई मौके, जानिए किन हालातों में होती है नीलामी
ऐसा नहीं है कि अगर आप बैंक की कुछ किस्त नहीं दे पाए, तो बैंक आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम कर देगा, बैंक प्रॉपर्टी को नीलाम करने से पहले आपको लोन चुकाने के कई मौके देता है.
आज के समय में मकान खरीदने के लिए एक बार में लाखों की कीमत चुकाना आसान नहीं होता है. ऐसे में लोग बैंक से होम लोन लेते हैं. लेकिन होम लोन को सिक्योर्ड लोन की श्रेणी में रखा जाता है. ऐसे में होम लोन लेते समय आपको गारंटी के तौर पर बैंक के पास किसी संपत्ति को गिरवी रखना होता है. अगर आप बैंक का लोन नहीं चुका पाते तो बैंक उस संपत्ति की नीलाम करके लोन की बकाया रकम को हासिल करता है.
लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर आप बैंक की कुछ किस्त नहीं दे पाए, तो बैंक आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम कर देगा, बैंक प्रॉपर्टी को नीलाम करने से पहले आपको लोन चुकाने के कई मौके देता है. अगर फिर भी आप लोन नहीं चुकाते, तब आखिरी विकल्प नीलामी का होता है. जानिए कब आती है प्रॉपर्टी की नीलामी की नौबत?
पहले रिमाइंडर भेजकर याद दिलाया जाता है
लगातार दो किस्तें बाउंस होने पर बैंक लोन लेने वाले को एक रिमाइंडर भेजता है. अगर तीसरी किस्त भी नहीं आती तो बैंक लोन बॉरोअर को ऋण चुकाने के लिए एक कानूनी नोटिस भेजता है. लेकिन जब चेतावनी के बाद भी लोन की ईएमआई नहीं दी जाती, तो बैंक लोन बॉरोअर को डिफॉल्टर घोषित कर देता है और उसकी संपत्ति को एनपीए घोषित करता है. साथ ही आपका सिबिल स्कोर भी काफी खराब हो जाता है. ऐसे में आपके लिए दोबारा लोन ले पाना नामुमकिन सा हो जाता है.
एनपीए भी तीन श्रेणियों में होता है विभाजित
लोन की लगातार तीन किस्तें जमा न करने और बैंक की चेतावनी के बाद भी ईएमआई का भुगतान न करने पर बैंक लोन अकाउंट को एनपीए मान लेता है. लेकिन ऐसा नहीं कि एनपीए घोषित होने पर तुरंत उस प्रॉपर्टी को नीलाम कर दिया जाता है. एनपीए घोषित करने के बाद बैंक खाते को तीन श्रेणियों में विभाजित करता है. सबस्टैंडर्ड असेट्स, डाउटफुल असेट्स और लॉस असेट्स. कोई लोन खाता एक साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स खाते की श्रेणी में रहता है, इसके बाद डाउटफुल असेट्स बनता है और जब लोन वसूली की उम्मीद नहीं रहती तब उसे ‘लॉस असेट्स’ मान लिया जाता है. इसके बाद गिरवी रखी प्रॉपर्टी की नीलामी की नौबत आती है.
आखिरी विकल्प होता है नीलामी
जब लोन चुकाने के सारे मौके देने के बाद भी व्यक्ति कर्ज नहीं चुका पाता, तब बैंक गिरवी रखी प्रॉपर्टी को कब्जे में ले लेता है. लेकिन इसके बाद उस प्रॉपर्टी की नीलामी की जाती है. यानी लोन चुकाने के लिए बैंक कई मौके देता है, फिर भी ग्राहक लोन न चुकाए तब आखिरी विकल्प के तौर पर गिरवी रखी संपत्ति को नीलाम करके लोन की रकम की भरपाई की जाती है.