यदि कोई ग्राहक बैंक से लिए गए लोन को नहीं चुका रहा है तो उससे जबरन वसूली के लिए बैंक बाउंसर नहीं रख सकते. साथ ही ग्राहक से जबरदस्ती वसूली नहीं कर सकते. वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को लोकसभा में इसे गैरकानूनी बताते हुए स्पष्ट कर दिया. उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से ऐसी कोई अनुमति नहीं दी गई है. ठाकुर ने कहा कि रिकवरी एजेंटों को नियुक्त करने को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के स्पष्ट दिशानिर्देश हैं. इनकी नियुक्ति पुलिस वेरिफिकेशन और अन्य जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही हो सकती है.

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बैंकों के सामने दरअसल बकाया लोन के रूप में बड़ी राशि है जिसे ग्राहकों से चुनौतीपूर्ण है. हालांकि इसके बावजूद ताजा आंकड़ों के मुताबिक कहा गया है कि पिछले चार साल में बैंकों ने 4.52 लाख करोड़ रुपये की रिकवरी की है. ठाकुर ने प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा को बताया कि किसी को भी जबरदस्ती लोन वसूलने का अधिकार नहीं दिया गया है और न ही इसके लिए बैंक बाउंसर या पहलवान नहीं रख सकते.

आरबीआई के 'गाइडलाइंस ऑन फेयर प्रैक्टिसेस कोड फॉर लेंडर्स' नाम से जारी सरर्कुलर बैंकों को लोन की वसूली के लिए किसी का उत्पीड़न करने से रोकता है. वे न तो असमय ग्राहक को परेशान कर सकते हैं और न ही ताकत के दम पर लोन वसूल सकते हैं.

पिछले कई समय में ऐसे मामले आए जिसमें ग्राहकों से पैसे की वसूली के नाम पर गुंडागर्दी करने की शिकायतें मिलीं हैं. मंत्री ने कहा कि आरबीआई ऐसी शिकायतों रक सख्त कार्रवाई करता है. वह चाहे तो किसी बैंक पर तय समय के लिए बैन भी लगा सकता है. इसमें कोई दोराय नहीं है कि बैंकों का बकाया अब भी एक गंभीर चुनौती है. खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए कुछ समय पहले काफी बढ़ गया था.