बैंकों में लिक्विडिटी बरकरार रखने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) ने बेहतर फॉर्मूला तैयार किया है. रिजर्व बैंक ने गुरुवार को तरलता कवरेज अनुपात (LCR) नियमों में बदलाव करते हुए बैंकों को इसमें 2 प्रतिशत की अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध कराई है. एलसीआर से बैंकों की उन परिसंपत्तियों के बारे में संकेत मिलता है जो कि उच्च तरलता क्षमता रखतीं हैं. इस प्रकार की संपत्तियों से अल्पकालिक दायित्वों को पूरा करने की बैंकों की क्षमता का पता चलता है.

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सीएम अरविंद दुबे के मुताबिक बैंकों के पास अगर नकदी बढ़ेगी तो वह ज्‍यादा लोन बांट पाएंगे. साथ ही NBFC अगर होम, कार लोन की ब्‍याज दर घटाती हैं तो इससे बैंकों पर भी लोन की दरें घटाने का दबाव बनेगा. रिजर्व बैंक के रेपो रेट में बदलाव करने से बैंकों को अब RBI से सस्‍ता कर्ज मिलेगा. उम्‍मीद है कि बैंक इसका फायदा ग्राहकों को लोन सस्‍ता कर देंगे. 

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करने के बाद कहा, ‘‘हमने बैंकों के लिये 2 प्रतिशत अतिरिक्त एलसीआर की अनुमति दी है. इसमें बैंकों के एलसीआर की गणना के लिये उच्च गुणवत्ता वाली तरलता वाली संपत्तियों को शामिल करना है. इस पहल से जहां एक तरफ बैंकों की तरलता संबंधी जरूरत पूरी होगी वहीं दूसरी तरफ बैंकों को कर्ज पर देने के लिये अतिरिक्त नकदी जारी होगी.’’ 

उन्होंने यह भी कहा कि यह भी तय किया गया है कि निवेश और रिण कंपनियों की श्रेणी में प्रणाली के लिहाज से महत्वपूर्ण गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियां जो कि जमा राशि स्वीकार नहीं करती हैं, उन्हें दूसरी श्रेणी के लाइसेंस के तहत प्राधिकृत डीलर के लिये आवेदन करने के योग्य माना जायेगा.

गवर्नर ने कहा कि इस बारे में विस्तृत निर्देश इस माह के अंत तक जारी कर दिये जायेंगे. दुनियाभर में आवास और वाणिज्यिक गतिविधियों के लिये गिरवी रखकर कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों को उच्च गुणवत्ता वाली तरल प्रतिभूति बाजारों का समर्थन प्राप्त होता है. इनमें गिरवी कारोबार करने वाले प्रणेता गिरवी संपत्तियों के पैकेज पोर्टफोलियो तैयार करते हैं और उन्हें गिरवी संपत्तियों से समर्थित प्रतिभूतियों अथवा बांड से कवर दिया जाता है.

एजेंसी इनपुट के साथ