Bad Loans: अगर सही समय पर मर्ज का इलाज न हो तो वो बढ़ जाती है. कई बार जानलेवा भी हो जाती है. बैंकिंग के इतिहास में डूबते कर्जों की बढ़ी हुई बीमारी ने कई बैंकों की जान ली है. बैकों के डूबते कर्जों के ताजा आंकड़े कहते हैं कि बीमारी ठीक हो रही है. सरकार और रिजर्व बैंक ने भी इस पर राहत की सांस ली है. पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों के डिफाल्टर्स के आंकड़े इशारा कर रहे हैं कि बीमारी आंख से ओझल भले हुई हो. लेकिन खतरा टला नहीं है. वित्तीय मामलों पर संसद की स्थाई समिति भी अपनी रिपोर्ट में इतनी जल्दी खुशफहमी पालने को लेकर आगाह कर चुकी है.  

डूबते कर्ज को रोकने के लिए  RBI के फैसले

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डूबते कर्जों से निपटने और उसके बाद बैंकों की सेहत सुधारने के लिए बीते सात आठ साल में रिजर्व बैंक और सरकार ने ढेरों कदम उठाए. रिजर्व बैंक ने डूबते कर्जों की सही पहचानने और उसके हिसाब से कदम उठाने के लिए कहा. सरकारी बैंकों में भी भारी पूंजी डालनी पड़ी. बैंकों को भी लाखों करोड़ रुपये बट्टा खाते में डालना पड़ा. बैंकों की हालत अब बेहतर होने की बात की जा रही है. 

बैंकों और वित्तीय संस्थानों के डिफाल्टर्स के आंकड़े 

लोन डिफाल्ट रकम
रुपये 1 Cr या अधिक 8.70 लाख Cr
रुपये 25 लाख या अधिक 3.04 लाख Cr
कुल 11.74 लाख Cr

(स्रोत: इंडस्ट्री सूत्र, मार्च 2022 तक) 

अभी भी समस्या है गंभीर

इंडस्ट्री सूत्रों की मानें तो डूबते कर्जों का खतरा अब भी गंभीर है. इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक मार्च 2022 तक 1 करोड़ रुपये या अधिक के लोन   के मामलों में सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों के करीब 8 करोड़ 70 लाख करोड़ रुपये डिफाल्ट हो चुका है. जबकि 25 लाख रुपये या अधिक के लोन डिफाल्ट के मामलों में 3 करोड़ 4 लाख रुपये की रकम फंसी है. कुल मिलाकर करीब पौने बारह लाख करोड़ रुपये का लोन डिफाल्ट हो चुका है. जबकि इसमें नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों का आंकड़ा शामिल नहीं है. जानकारों का कहना है कि डूबे कर्जों की सही तस्वीर नहीं पेश की जा रही है.  

सरकारी बैंकों पर ज्यादा खतरा

देश में सरकारी बैंकों का साइज बड़ा होने की वजह से लोन डिफाल्ट के आंकड़ें भी सबसे ज्यादा सरकारी बैंकों के ही हैं.

रुपये 1 Cr या अधिक के लोन डिफाल्टर 

कैटेगरी रकम
सरकारी बैंक 5,91,745 Cr
निजी बैंक 1,41,210 Cr
बड़े वित्तीय संस्थान 1,18,173 Cr
विदेशी बैंक 13,670 Cr
बड़े को-ऑपरेटिव बैंक 5,204 Cr

 (स्रोत: इंडस्ट्री सूत्र, मार्च 2022 तक)  

एक करोड़ रुपए या अधिक के डिफाल्ट के मामलों में सरकारी बैंकों के करीब 6 लाख करोड़ रुपये फंसे हैं. जबकि निजी बैंकों के करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए, बड़े वित्तीय संस्थानों के करीब एक लाख अट्ठारह हजार करोड़, विदेशी बैंकों के करीब चौदह हजार करोड़ रुपये और बड़े को-ऑपरेटिव बैंकों के करीब पांच हजार दो सौ करोड़ रुपए फंसे हैं. इसी तरह 25 लाख रुपये या अधिक के लोन डिफाल्ट के मामलों में सरकारी बैंकों  का करीब दो लाख पैंसठ हजार करोड़ रुपए, निजी बैंकों के अट्ठाइस हजार करोड़ रुपये से अधिक की रकम, असेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों का करीब साढे पांच हजार करोड़ रुपये, बड़े वित्तीय संस्थानों का करीब अड़तीस सौ करोड़ रुपये और विदेशी बैंकों का करीब नौ सौ बहत्तर करोड़ रुपये फंसा है.

 25 लाख रुपयेया अधिक के लोन डिफाल्टर 

लोन डिफाल्ट रकम
सरकारी बैंक 2,64,468 Cr
निजी बैंक 28,780 Cr
ARCs 5,560 Cr
बड़े वित्तीय संस्थान 3,800 Cr
बड़े को-ऑपरेटिव बैंक 695 Cr
विदेशी बैंक 972 Cr

 (स्रोत: इंडस्ट्री सूत्र, मार्च 2022 तक)  

ता इस बात को लेकर भी जताई जा रही है कि बैंक कॉरपोरेट लोन डिफाल्ट के चक्कर से निकल कर रिटेल लोन डिफाल्ट के जाल में न फंस जाएं. क्योंकि कोविड के समय और बाद में सस्ते ब्याज दर के माहौल में कमाई बढ़ाने के लिए जोर शोर से हर रीटेल सेगमेंट के कर्ज बांटे गए हैं. जबकि ब्याज दरें फिर से बढ़ रही हैं.