एनपीए में हो रही है कमी, सार्वजनिक बैंकों की वसूली बढ़ी है : अरुण जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को धोखाधड़ी करने और जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कारगर कदम उठाने को कहा है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि बकाया ऋण की वसूली गति पकड़ चुकी है बैंकिंग प्रणाली में अवरुद्ध ऋणों (एनपीए) में कमी आ रही है. उन्होंने बैंकों से कहा कि वे धोखाधड़ी करने तथा जान बूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कारगर कार्रवाई करें.
राजधानी में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष अधिकारियों के साथ वार्षिक समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से बातें करते हुए जेटली ने कहा कि पिछले कुछ साल सार्वजनिक बैंकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहे हैं क्योंकि ऋण का एक बड़ा हिस्सा फंस कर एनपीए बन गया था.
लेकिन दिवाला एवं ऋणशोधन संहिता (आईबीसी) के अमल में आने से वसूली की गति तेज हुई है. दिवाला संहिता में कर्ज से खड़ी सम्पत्ति नीलाम करने का प्रावधान है. जेटली ने कहा कि वसूली बेहतर हुई है, बैंकों की ऋण देने की क्षमता सुधरी है और इन सबसे ऊपर ऋण कारोबार की वृद्धि दर में भी अच्छा सुधार हुआ है.
उन्होंने कहा कि जहां तक उनके फंसे कर्ज की बात है, इसकी वसूली के लिये प्रयास तेज किये हैं. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बैंकों ने पुराने फंसे कर्ज में से 36,551 करोड़ रुपये की वसूली की है. पिछले साल की इसी तिमाही में की गई वसूली के मुकाबले यह राशि 49 प्रतिशत अधिक है. पिछले वित्त वर्ष 2017- 18 में बैंकों ने कुल 74,562 करोड़ रुपये की वसूली की है.
वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में दिवाला संहिता प्रक्रिया और अन्य रास्तों से वसूली के जरिए बैंकों को 1.8 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि अब एनपीए को नियंत्रण में रखने पर ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक बैंक अपनी गैर जरूरी सम्पत्तियों को की बिक्री से और 18 हजार करोड़ रुपये जुटा सकते हैं.
जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें बैंक
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को धोखाधड़ी करने और जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कारगर कदम उठाने को कहा. इसके साथ ही उन्होंने निरंतर आठ प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल करने का विश्वास जताया.
उन्होंने विश्वास जताया कि अर्थव्यवस्था में लिखा-पढ़ी के साथ संगठित ढंग से कारोबार का विस्तार होने से भारत को आठ प्रतिशत की दर से मजबूत आर्थिक वृद्धि हासिल करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवसथा से बैंकों को भी मजबूती से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा इसके विपरीत जहां बैंकों को अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा माना जाता है, वहीं बैंकों को बढ़ती अर्थव्यवस्था की कर्ज जरूरतों को पूरा करने के लिये मजबूत होने की आवश्यकता है.
वित्त मंत्री ने बैंकों से कहा कि वह कर्ज देने का काम पूरी ईमानदारी से करें और बैंकों में पुन: जो भरोसा किया गया है उसे सही साबित करने के लिये धोखाधड़ी करने तथा जान बूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों के खिलाफ कारगर कार्रवाई करें. बैंकों को हर समय ऐसे संस्थान के रूप में दिखना चाहिये जो कि पूरी ईमानदारी और सूझबूझ के साथ कर्ज का वितरण करते हैं.
उन्होंने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता (आईबीसी), माल एवं सेवाकर (जीएसटी), नोटबंदी और डिजिटल भुगतान जैसे कदमों के जरिये अर्थव्यवसथा को औपचारिक तंत्र में लाने से वित्तीय क्षमता और जोखिम का बेहतर आकलन करने में मदद मिली है.
आईबीसी कानून के सकारात्मक परिणाम को नोट करने के साथ ही जेटली ने रिण वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) की क्षमता और उनकी उपयोगिता पर फिर से गौर करने पर जोर दिया है. खासतौर से इनमें लगने वाले लंबे समय पर गौर किया जाना चाहिये. उन्होंने इन न्यायाधिकरणें के जरिये वसूली प्रक्रिया को तेज करने की जरूरत पर जोर दिया ताकि इनके गठन के वास्तविक उद्देश्य को हासिल किया जा सके.
(इनपुट भाषा से)