इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को फाइनैंस करने वाली कंपनी आईएलएंडएफएस को बेलआउट पैकेजे देने का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मुद्दे पर राहुल गांधी के आरोपों को नकारते हुए कहा कि अगर इस समय कंपनी को किसी तरह की राहत पहुंचाना गलत था तो कांग्रेस के जमाने जब एलआईसी ने आईएलएंडएफएस ने लगातार हिस्सेदारी खरीदी, तो वो क्या था?

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जेटली ने कहा कि सरकार द्वारा प्राइवेट सेक्टर की कंपनी आईएलएंडएफएस को राहत पहुंचाने की संभावनाओं के बीच कांग्रेस पार्टी ने गलत खबरें फैलानी शुरू कर दी हैं. उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी कहते हैं कि किसी भी वित्तीय संस्थान में निवेश 'एक घोटाला' है. तो क्या 1987 में घोटाला हुआ था, जब आईएलएंडएफएस को 50.5 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने प्रमोट किया था और यूटीआई की इसमें 30.5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी. क्या 2005 में घोटाला हुआ था जब एलआईसी ने आईएलएंडएफएस में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी ली और 2006 में इसने 11.10 प्रतिशत हिस्सेदारी और हासिल की.'

राहुल गांधी के आरोपों को नकारा 

जेटली ने कहा कि राहुल गांधी की बातों के अनुसार 'क्या मैं इन सभी निवेशों को घोटाला कह सकता हूं.' उन्होंने सवाल किया कि राहुल गांधी को ये कहां से पता चला कि एलआईसी और एसबीआई आईएलएंडएफएस में 91000 करोड़ रुपये निवेश करने वाले हैं?

उन्होंने कहा कि ये कांग्रेस के नेता ही हैं, तो आईएलएंडएफएस को बेलआउट करने के लिए पत्र लिख रहे हैं. उन्होंने बताया, 'वरिष्ठ कांग्रेसी नेता केवी थॉमस ने मुझे 20 सितंबर को पत्र लिखकर ऐसा अनुरोध किया था. राहुल गांधी को चाहिए कि वो केवी थॉमस से कुछ सीखें. कांग्रेस पार्टी को याद रखना चाहिए कि क्रोनी कैप्टलिज्म के दिन खत्म हो गए हैं.'

इससे पहले राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि आईएलएंडएफएस एक डूबती कंपनी है और सरकार उसे एलआईसी का पैसा लगाकर बचाना चाहती है. उन्होंने कहा था, 'पीएम मोदी एलआईसी-सीबीआई में लगे जनता के पैसे से 91000 करोड़ की कर्जदार आईएलएंडएफसी को बेलआउट दे रहे हैं. एलआईसी देश के भरोसे का चिन्ह है... एक-एक रुपया जोड़कर लोग एलआईसी की पॉलिसी लेते हैं. उनके पैसे से जालसाजों को क्यों बचाते हो?'