WhatsApp-Google को भुगतान डेटा भारत में रखना ही होगा, सरकार नहीं देगी राहत
सभी डिजिटल भुगतान कंपनियों को अपने कारोबार के डेटा को स्थानीय स्तर पर रखना होगा
सरकार ने जहां कहा कि वह डेटा के स्थानीयकरण के लिए जारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 15 अक्टूबर की समयसीमा में कोई ढील नहीं देगी, लेकिन वैश्विक डिजिटल भुगतान प्रदाताओं के लिए इसे लागू करने की राह आसान नहीं है तथा उन्होंने दिशानिर्देशों पर अमल के लिए और समय की मांग की है. आरबीआई के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि गूगल पे, वाट्सऐप समेत सभी डिजिटल भुगतान कंपनियों को अपने कारोबार के डेटा को स्थानीय स्तर पर रखना होगा. इस निर्देश पर अमल करने की आखिरी तारीख सोमवार को खत्म हो गई.
10 लाख लोग कर रहे WhatsApp पेमेंट्स का परीक्षण
वाट्सऐप ने एक बयान में कहा कि करीब 10 लाख लोग WhatsApp पेमेंट्स का परीक्षण कर रहे हैं, जो एक-दूसरे को पैसे भेजने का सरल और सुरक्षित तरीका है. वाट्सऐप के प्रवक्ता ने बताया, "भारत के पेमेंट्स डेटा परिपत्र के जवाब में हमारा कहना है कि हमने ऐसी प्रणाली बनाई है, जो भुगतान से संबंधित डेटा को स्थानीय स्तर पर भारत में ही रखता है."
गूगल ने भी की थी अपील
प्रवक्ता ने कहा, "वाट्सऐप पेमेंट लोगों के दैनिक जीवन में लाभकारी है और हमें उम्मीद है कि इस फीचर का देश भर में जल्द विस्तार करेंगे, ताकि भारत के वित्तीय समेकन के लक्ष्य में सहयोग कर सकेंगे." वहीं, गूगल पे ने इसके लिए सरकार से और समय की मांग की है. गूगल के मुख्य कार्यकारी सुंदर पिचाई ने सूचना और प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिख कर डेटा के मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने की मांग की थी, ताकि वैश्विक कंपनियां भारत के डिजिटल अर्थव्यवस्था में योगदान कर सके.
छह महीने का मिला था समय
पिचाई ने कहा कि सीमाओं के पार डेटा का मुक्त आदान-प्रदान से उन भारतीय स्टार्टअप्स को भी फायदा होगा जो वैश्विक विस्तार की योजना बना रही है. रिजर्व बैंक ने भारतीय उपभोक्ताओं की सूचनाएं देश में ही रखने के संबंध में विदेशी भुगतान कंपनियों को छह महीने का समय दिया था. विदेशी कंपनियां इस समयसीमा को बढ़ाने की मांग कर रही थी. अमेरिका के दो सांसदों जॉन कॉर्निन और मार्क वार्नर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इसमें कुछ ढील देने की मांग की थी.
(इनपुट एजेंसी से)