बैंकों (Banks) की तरफ से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को कई शिकायतें आ रही थीं. ऐसे में बैंकों से कहा गया कि उनके खिलाफ कई शिकायतें आ रही हैं और ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें लोगों को दिए गए लोन (Loan) पर तय सीमा से अधिक ब्याज (Interest) वसूला गया है. इसी के चलते कुछ महीने पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों और एनबीएफसी को कहा था कि वह ग्राहकों से अतिरिक्त ब्याज (Interest Rate) ना वसूलें. आइए जानते हैं ऐसे 4 तरीके, जिनके बैंक आपसे अतिरिक्त ब्याज वसूल रहे थे.

1- लोन अप्रूवल की तारीख से ब्याज वसूलना

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कई बैंक अपने ग्राहकों से उन्हें देने वाले लोन पर उसके अप्रूवल की तारीख से ब्याज लगाने लगते हैं. बैंकों को उस दिन से ब्याज लगाना चाहिए, जब लोन की रकम लोगों के खाते में पहुंच जाए. भले ही इसमें आपको लगे कि 7-10 दिन का अतिरिक्त ब्याज लग जाने से क्या फर्क पड़ता है, लेकिन जब बैंक ऐसा काम हजारों-लाखों लोगों के साथ करता है तो वह तगड़ी कमाई करता है. यही वजह है कि आरबीआई ने बैंकों को फटकार लगाई है.

2- चेक जारी करने की तारीख से ब्याज वसूलना

कुछ ऐसा ही चेक के जरिए लोन दिए जाने के मामले में भी देखने को मिला. यह पाया गया है कि बैंक चेक की तारीख से ब्याज लगाने लगते हैं. हालांकि, चेक कई दिनों बाद ग्राहकों को सौंपा जाता है. ऐसे मामलों में बैंक को चेक सौंपने की तारीख से ही ब्याज वसूलना चाहिए. इस पर भी रिजर्व बैंक की तरफ से कई बैंकों और एनबीएफसी को फटकार लगाई गई है.

3- बकाया दिन नहीं, पूरे महीने का ब्याज वसूलना

किसी महीने के दौरान लोन देने या रीपेमेंट के मामले में कुछ बैंक पूरे महीने के लिए ब्याज दर वसूल रहे थे. ऐसे मामले में बैंकों को करना ये चाहिए कि उन्हें महीने के सिर्फ उतने दिनों का ब्याज लेना चाहिए, जितने दिन के लिए लोन बकाया है, ना कि पूरे महीने का ब्याज वसूलना चाहिए.

4- कुछ किस्तें एडवांस लेकर पूरे लोन पर ब्याज वसूलना

कुछ मामलों में, यह भी देखा गया कि बैंक एक या अधिक किस्तें पहले ही वसूल कर रहे थे, लेकिन लोन की पूरी रकम पर ब्याज कैल्कुलेट कर रहे थे. ये सब देखकर आरबीआई ने कहा कि ब्याज वसूलने की ऐसी गैर-मानक प्रथाएं, जो ग्राहकों के साथ व्यवहार करते समय निष्पक्षता और पारदर्शिता की भावना के अनुरूप नहीं हैं, "गंभीर चिंता" का कारण है.