2000 ka Note News: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से 2000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से बाहर किए जाने के बाद इसके अलग-अलग एंगल पर चर्चा हो रही है. क्यों किया गया है, नोट मिल क्यों नहीं रहे थे, सरकार ने ये कदम क्यों उठाया है, वगैरह-वगैरह. एक और सवाल है कि नोटबंदी के बाद जिस नोट को लाया गया था, उसे इतनी जल्दी चलन से बाहर क्यों किया जा रहा है और 2,000 रुपये के नोटों को बाजार से हटाने पर काले धन पर लगाम कैसे लगेगी? 

कैसे लगेगी काले धन पर लगाम?

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इसपर आरबीआई पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने कहा कि 2,000 रुपये के बैंक नोट वापस लेने से काले धन पर रोक लगाने में काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकेगा क्योंकि लोग यह नोट जमा कर रहे हैं. गांधी ही वर्ष 2016 में 500 और 1,000 रुपये के नोट चलन से हटाये जाने के समय आरबीआई में मुद्रा विभाग के प्रमुख थे. उन्होंने कहा कि भुगतान पर किसी भी सिस्टमेटिक प्रभाव की संभावना नहीं है क्योंकि इन नोटों का उपयोग डेली ट्रांजैक्शंस में नहीं किया जाता है. ज्यादातर भुगतान डिजिटल माध्यम से होते हैं. हालांकि, मुद्रा बदलने के लिए एक दिन में 20,000 रुपये की सीमा ‘परिचालन असुविधा’ का कारण बन सकती है. क्योंकि हो सकता है कि कुछ लोगों को एक बैंक शाखा में कई बार जाना पड़े.

काले धन पर अंकुश लगाने के एजेंडे पर 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर गांधी ने कहा कि इससे काफी हद तक मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि (2016 में) मुद्रा को चलन से हटाने का एक बड़ा कारण अर्थव्यवस्था में काले धन पर रोक लगाना था. 

2,000 का नोट चलन क्यों बाहर हो रहा है?

नोटबंदी के बाद लाए गए इन नोटों को अब वापस लिए जाने के पीछे का कारण बताया गया है कि 2000 रु के नोटों की 4-5 साल की उम्र पूरी हो गई है. इन्हें बस कुछ वक्त के लिए निकाला गया था. साथ ही आरबीआई ने ये भी कहा है कि ये नोट बहुत ज्यादा आम जनता के बीच चलन में नहीं थे. वहीं, बाकी रकम के करेंसी नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. बता दें कि आरबीआई ने शुक्रवार शाम को 2,000 रुपये के नोट को सितंबर, 2023 के बाद चलन से हटाने की घोषणा की. हालांकि इस मूल्य के नोट को बैंकों में 23 मई से 30 सितंबर तक जमा या बदला जा सकता है.

(भाषा से इनपुट)

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