डिजिटल बैंकिंग के बढ़ते दौर में, डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. हैकर्स अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर ग्राहकों की पहचान चुराकर उन्हें नुकसान पहुंचाने लगे हैं. वे फर्जी वीडियो KYC से बैंक खाते खुलवाने, ग्राहकों की निजी जानकारी का गलत इस्तेमाल करने, खातों को खाली करने और बड़े वित्तीय लेनदेन की अप्रूवल तक पहुंच जाते हैं. डीप फेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों से निपटने के लिए, देश के 12 बड़े सरकारी बैंक एक साथ आने का फैसला किया है.

30 सेकंड में किसी भी ऑडियो-वीडियो की होगी जांच 

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डीप फेक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरों से निपटने के लिए, देश के 12 बड़े सरकारी बैंक एक साथ आकर एक ऐसे प्लेटफॉर्म का निर्माण कर रहे हैं, जो डीपफेक वीडियो और ऑडियो की पहचान करने में सक्षम होगा. यह प्लेटफॉर्म 30 सेकंड में किसी भी वीडियो या ऑडियो की जांच करेगा और उसे रेटिंग देगा. यदि किसी वीडियो की रेटिंग कम है, तो यह संकेत देगा कि वह डीपफेक है. यह उपाय हर वीडियो KYC और अन्य ऑथराइजेशन प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे बैंकों को फ्रॉड की पहचान और उसे रोकने में आसानी होगी. 

एक ही प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करेंगे 12 बैंक

12 बैंक एक ही प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करेंगे, जिससे उनके तकनीकी खर्च में कमी आएगी और सुरक्षा में सुधार होगा. इस पहल के तहत PSB Alliance Private Limited को इस प्लेटफॉर्म के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिसे सरकार से मंजूरी भी मिल चुकी है. सरकारी बैंकों का यह कदम डिजिटल बैंकिंग को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के लिए एक बड़ा प्रयास है, जो ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित होगा.