हवाई किराए पर एविएशन मिनिस्ट्री की पैनी नजर, इन 60 रूट्स पर किए जा रहे हैं खास इंतजाम
केंद्रीय नागरिक और उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सदन में बताया है कि नागरिक विमानन मंत्रालय के पास एक किराया निगरानी इकाई है जो आकस्मिक आधार पर 60 मार्गों के किरायों पर नजर रख रही है.
केंद्रीय नागरिक और उड्ड्यन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा को बताया कि उनका मंत्रालय के पास एक टैरिफ मॉनिटरिंग यूनिट है. ये यूनिट रैंडम आधार पर 60 मार्गों के किराए को देखती है. ये यूनिट फ्लाइट के शेड्यूल से 30 दिन, 15 दिन, सात दिन, तीन दिन, दो दिन और एक दिन पहले चेक करती है. गौरतलब है कि सरकार ने बुधवार को लोकसभा को बताया कि पिछले नौ वर्ष में विमान यात्रियों की संख्या बढ़कर 14 करोड़ हो गयी है और 2023 तक यह आंकड़ा तीन गुना बढ़कर 42 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है.
अक्टूबर से मध्य जनवरी तक होता है सबसे व्यस्त सीजन
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, ''नागरिक विमानन एक मौसमी क्षेत्र है और इसका किराया बदलता रहता है. अक्टूबर से मध्य जनवरी तक अत्यधिक व्यस्त सीजन होता है, उसके बाद अप्रैल-मई तक बहुत कम व्यस्त सीजन आता है जब छुट्टियां शुरू होती हैं और फिर मध्य जून तक आपके पास अत्यधिक व्यस्त सीजन होता है. यह केवल भारत तक ही सीमित नहीं है; यह एक वैश्विक घटना है.
55 हजार करोड़ रुपए से 1 लाख 32 हजार करोड़ रुपए का घाटा
जहां तक एयरलाइंस का सवाल है, यदि आप पहले से अपनी टिकट बुकिंग करते हैं, तो कोई अधिक किराया नहीं होगा, लेकिन यदि आप आखिरी दिन बुकिंग करते हैं, तो आरक्षण बकेट डिजाइनर जो कि आरबीडी प्रणाली है, के अनुसार, किराया बढ़ जाता है. पिछले तीन साल में, सभी एयरलाइंस को मिलाकर, एयरलाइंस को वार्षिक आधार पर लगभग 55,000 करोड़ रुपये से 1,32,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. कोविड ने एयरलाइंस की वित्तीय व्यवहार्यता को पूरी तरह से नष्ट कर दिया. उस माहौल में भी, हमारी एयरलाइंस ने बहुत टिकाऊ आधार पर परिचालन किया है.
ATF में हुई तीन गुना ज्यादा बढ़ोत्तरी, तर्कसंगत नहीं बढ़ा हवाई किराया
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि एयर टरबाइन ईंधन एयरलाइंस की परिचालन लागत का लगभग 40 प्रतिशत है और एयर टरबाइन ईंधन की कीमतें 55,000 रुपये प्रति किलो लीटर से बढ़कर 1,55,000 रुपये प्रति किलो लीटर हो गई हैं. इसमें 3 गुना की वृद्धि हुई है, लेकिन इस कारण से हवाई किराया कहीं भी तर्कसंगत रूप से नहीं बढ़ा है. वर्तमान में एयर टरबाइन ईंधन पहले के स्तर से घटकर अब भी ढाई गुना के करीब हो गया है.