आर्थिक संकट से जूझ रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज को आखिरकार खरीदार मिल गया है. टाटा संस ने इसे खरीदने के लिए टाटा ग्रुप से कदम बढ़ा रहा है. टाटा ग्रुप ने इसके लिए एक बड़ा प्लान तैयार किया है. सूत्रों की मानें तो जेट एयरवेज और टाटा-सिंगापुर एयरलाइंस (TATA-SIA) में विलय हो सकता है. विलय को लेकर दोनों के बीच लगातार बातचीत का दौर जारी है. उम्मीद की जा रही है कि कल डील फाइनल हो सकती है. हाल ही में जेट एयरवेज के प्रमुख नरेश गोयल और टाटा संस के मुख्य वित्त अधिकारी सौरभ अग्रवाल के बीच पिछले दिनों इस डील को लेकर आपस में मुलाकात भी हुई.

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बड़ी हिस्सेदारी खरीद सकता है टाटा ग्रुप

संभावित डील से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, प्लान के तहत टाटा ग्रुप पहले जेट एयरवेज में बड़ी हिस्सेदारी हासिल कर सकता है. जेट एयरवेज का टाटा सिंगापुर एयरलाइन्स-विस्तारा एयरलाइन्स में मर्जर करने पर विचार किया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक, डील के तहत टाटा जेट के मौजूदा सबसे बड़े प्रोमोटर नरेश गोयल की पूरी हिस्सेदारी खरीद सकती है. यह भी हो सकता है कि नरेश गोयल का जेट एयरवेज में हिस्सेदारी सिर्फ नाम मात्र की रह जाए. 

टाटा ग्रुप के पास होगा मैनेजमेंट कंट्रोल

सूत्रों की मानें तो विलय के बाद जेट एयरवेज का पूरा मैनेजमेंट कंट्रोल टाटा ग्रुप अपने हाथ में रखेगा. फिलहाल, नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनिता गोयल की जेट एयरवेज में 51% हिस्सेदारी है. साथ ही जेट एयरवेज में एतिहाद एयरलाइंस की 24 फीसदी हिस्सेदारी है. वह माइनॉरिटी शेयरधारक के रूप में जेट में शामिल हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक, अगर एतिहाद एयरलाइंस अपने हिस्सेदारी बेचकर निकलना चाहता है तो उसके हिस्से को भी टाटा ग्रुप खरीद सकता है.

टाटा ग्रुप क्यों लगा रहा है बड़ा दांव?

दरअसल, जेट एयरवेज की एविएशन सेक्टर में ताकत और पॉजिटिव पहलुओं पर टाटा ग्रुप नजर बनाए हुए है. टाटा की सबसे ज्यादा दिलचस्पी जेट एयरवेज के 124 हवाई जहाज के बेड़े पर है. साथ ही देश-दुनिया के अहम एयरपोर्ट्स पर लैंडिंग राइट्स, फ्लाइंग स्लॉट्स, रूट और विशालकाय इंफ्रास्ट्रक्चर भी जेट एयरवेज को मजबूत बनाता है.

टाटा ग्रुप का यह है प्लान

जेट एयरवेज जो फिलहाल जबरदस्त आर्थिक संकट से गुजर रही है. पिछली कुछ तिमाही से लगातार कंपनी को घाटा हुआ है. वह अपने पायलट्स की सैलरी देने में भी नाकाम रही है. सूत्रों की माने तो टाटा ग्रुप एविएशन में अपनी पकड़ को मजबूत बनाने और विस्तार देने की स्ट्रेटेजी के तहत पहले एयर इंडिया को खरीदना चाहता था. लेकिन, सरकार से साथ डील नहीं होने से उसने एयर इंडिया में हिस्सेदारी नहीं खरीदी. अब वह जेट एयरवेज को खरीदकर अपनी स्थिति को मजबूत बनाना चाहता है.

(रिपोर्ट: समीर दीक्षित)