आर्थिक मामलों के सचिव (DEA) अजय सेठ ने कहा है कि रिजर्व बैंक (RBI) ने टूटते रुपये को संभालने के लिए कई अहम उठाए है. इसके चलते रुपये में रिकवरी देखी जा रही है. RBI के उठाए कदमों का विदेशी इनफ्लो पर पॉजिटिव असर होगा. उन्‍होंने कहा कि शार्ट टर्म में ग्‍लोबल चुनौतियां कम होने की उम्‍मीद है. सरकार विंडफाल टैक्‍स पर फैसला लेने से पहले क्रूड की कीमतों का ट्रेंड देखेगी. सेठ ने कहा कि सेंट्रल बैंक महंगाई को कम करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन जरूरी नहीं कि इससे चलते मंदी देखने को मिले. विकसित अर्थव्‍यवस्‍थाओं में सुस्‍ती स्‍वाभाविक है.

RBI ने उठाए ये कदम

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रिजर्व बैंक का फोकस फॉरेक्स इनफ्लो बढ़ाने पर है. लगातार टूटते रुपये को थामने के लिए RBI ने कदम उठाए हैं. विदेशी निवेशकों की भागीदरी और NRI डिपॉजिट को बढ़ावा देने की कोशिश की है. ऑटोमैटिक रूट के जरिए ECB लिमिट सालाना 750 मिलियन डॉलर से 1.5 बिलियन डॉलर किया है. Foreign Currency Non-Residents, Non-Residents deposit के लिए बैंको को CRR और SLR में छूट दी गई है. FPIs को 7 और 14 साल के सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश की छूट है. अबतक सिर्फ 5 साल, 10 साल और 30 साल के G-Secs के लिए ही मंजूरी थी. 

डॉलर के मुकाबले रुपया एक हफ्ते में अबतक 0.55% कमजोर हो चुका है. इस साल अब तक 6.2% नीचे है. हालांकि, रिकॉर्ड निचले स्तर से रुपए में रिकवरी देखी जा रही है. 

रुपये का ट्रेंड

5 जुलाई - 79.37/$

1 जुलाई - 79.12/$

28 जून --78.57/$

22 जून --78.39/$

13 June -- 78.29/$

10 जून --77.85/$ 

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रुपये में कमजोरी का कारण

  • डॉलर इंडेक्स 20 साल के उच्चतम स्तर पर
  • 107 के पार निकला, एक साल में 16% ऊपर
  • डॉलर इंडेक्स में मजबूती से सभी करेंसीज धड़ाम 
  • अधिकतर करेंसीज महीनेभर मे 2-17% गिरी
  • भारत का ट्रेड डेफिसिट 26 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर
  • 24 जून तक भारत का फॉरेक्स रिजर्व 593 बिलियन डॉलर के पास
  • इस साल अब तक FIIs की ओर से 2.87 लाख करोड की निकासी
  • ग्लोबल आर्थिक मंदी गहराने और बढती महंगाई की चिंता