प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिक्किम को उसके पहले एयरपोर्ट की सौगात दी है. पाकयोंग ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का सोमवार को PM ने उद्घाटन किया. यह एयरपोर्ट 201 एकड़ में फैला है और इससे बनाने में 605.59 करोड़ रुपए की लागत आई है. पाकयोंग ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट गंगटोक से करीब 33 किलोमीटर दूर है. इस एयरपोर्ट से सिक्किम आने जाने वाले लोगों को राहत मिलेगी. इससे दिल्‍ली से सिक्कित की दूरी 2 घंटे में तय की जा सकेगी.

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देश का 100वां वर्किंग एयरपोर्ट

सिक्किम की राजधानी गंगटोक के ऊंचे पहाड़ी इलाके में बने इस ग्रीनफील्‍ड एयरपोर्ट को हाल ही में सिविल एविएशन विभाग की ओर से कॉमर्शियल उड़ानों की मंजूरी मिली है. यह एयरपोर्ट चीन बॉर्डर से सिर्फ 60 किमी दूर है. यहां से उड़ने वाले एयरफोर्स विमानों को चीन सीमा तक पहुंचने में कुछ ही मिनट का समय लगेगा. खास बात यह है कि सिक्किम एयरपोर्ट देश का 100वां वर्किंग एयरपोर्ट है. हाल ही में भारतीय वायुसेना का डोर्नियर-228 इस हवाई अड्डे पर ट्रायल के तौर पर उतारा था. इसके अलावा स्‍पाइसजेट भी यहां ड्राई रन कर चुकी है. 

600 करोड़ की लागत में बना एयरपोर्ट

201 एकड़ में फैले एयरपोर्ट को बनाने में 605.59 करोड़ रुपए की लागत आई है. इसमें जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया गया है. यहां की मिट्टी में एयरपोर्ट की जरूरतों के हिसाब से बदलाव किए गए हैं. साथ ही स्लोप स्टेबलाइजेशन तकनीक भी लगाई गई है. पिछले दिनों एक अधिकारी ने किराए कि बात करते हुए कहा कि स्पाइसजेट को रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए 'उड़े देश का हर नागरिक' (उड़ान) योजना के तहत ऑपरेशन की इजाजत मिली है, इसलिए किरायों पर दी गई कैप 2,600 रुपए है. 

9 साल बाद पूरा हुआ सपना

साल 2009 में इस ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे की आधारशिला रखे जाने के करीब नौ साल बाद सिक्किम का यह सपना पूरा हुआ. यह हवाई अड्डा गंगटोक से करीब 33 किलोमीटर दूर है. पाकयोंग से पहली व्यावसायिक उड़ान चार अक्टूबर से शुरू होगी. देश के 100वें और सिक्किम के पहले हवाई अड्डे से परिचालन शुरू होने के साथ ही पूर्वोत्तर का यह राज्य पूरे देश से सीधे तौर पर जुड़ जाएगा.

समुद्र तल से 4,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित

सिक्किम के मुख्य सचिव ए. के. श्रीवास्तव ने बताया कि भारत-चीन सीमा से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पाकयोंग हवाई अड्डा करीब 201 एकड़ जमीन पर बना है. यह समुद्र तल से 4,500 फुट की ऊंचाई पर पाकयोग गांव से करीब दो किलोमीटर ऊपर पहाड़ी पर बना है.