टाटा ग्रुप जल्द ही जेट एयरवेज में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान कर सकता है. टाटा संस की आज एक अहम बोर्ड बैठक हो रही है. इस बोर्ड बैठक में जेट एयरवेज को खरीदने का ऐलान किया जा सकता है. हालांकि, अभी तक आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं आया है. सूत्रों की मानें तो डील का ऐलान जल्द ही हो सकता है. लेकिन, इन सबके बीच सवाल उठ रहा है कि टाटा ग्रुप अचानक से जेट एयरवेज को संभालने के लिए आगे क्यों आया. सूत्रों की मानें तो यह सब प्रधानमंत्री के कहना पर किया जा रहा है. 

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पीएम के कहने पर तैयार हुआ टाटा ग्रुप

टाटा ग्रुप से जुड़े सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने टाटा ग्रुप से जेट एयरवेज की माली हालत सुधारने को कहा था. मोदी सरकार खुद जेट एयरवेज को डूबने से बचाने के लिए स्थिति पर नजर बनाए हुए है. दरअसल, सरकार खुद एविएशन सेक्टर में हो रही उठापटक से सरकार चिंतित है. इसलिए टाटा ग्रुप से जेट एयरवेज की मदद करने को कहा गया है. सूत्रों की मानें इस मदद के बदले में टाटा ग्रुप को सरकार की तरफ से कई फायदे दिए जा सकते हैं. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री के कहने के बाद ही टाटा ग्रुप इस डील को फाइनल करने के लिए तैयार हुआ है.

टाटा ग्रुप को भी होगा फायदा

सूत्रों की मानें तो सरकार जेट एयरवेज को दिए गए लोन पर कुछ राहत टाटा ग्रुप को दे सकती है. यही नहीं एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) भी जेट एयरवेज पर अपनी देनदारी को माफ कर सकती है. इससे एक डूबती एयरलाइन को बचाने में ज्यादा आर्थिक मुश्किलें नहीं आएंगी.

इसलिए डर रही है सरकार?

सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार जेट एयरवेज के मसले को अपनी सरकार के मैनेजमेंट और इंडियन एविएशन की साख से जोड़कर देख रही है. अगर दिग्गज एयरलाइन जेट एयरवेज डूबती है तो ये सरकार और ग्लोबल स्तर पर इंडियन एविएशन के लिये अच्छ संकेत नहीं होगा. यही नहीं, सरकार को डर है कि नरेश गोयल की एयरलाइन के अर्श से फर्श पर आने का नकारात्मक असर स्टॉक मार्केट समेत दूसरी एयरलाइन कंपनियों पर भी पड़ने के आसार बन सकते हैं. इस सबके चलते सरकार खुद बैकडोर से जेट एयरवेज को बचाने में शामिल और दिलचस्पी जाता रही है.

(रिपोर्ट: समीर दीक्षित)