हवाई यात्रा करने वाले मुसाफिरों के साथ अक्सर ऐसा मौका आता है, जब उनकी फ्लाइट लेट हो जाती है और एयरपोर्ट पर घंटों काटने पड़ते हैं. वहीं कई बार फ्लाइट कैंसिल भी कर दी जाती है और उन्हें वापस अपने घर लौटना पड़ता है. हालांकि, एयरलाइन मुसाफिरों के लिए वैकल्पिक इंतजाम करती हैं. लेकिन, अगर कोई पैसेंजर चाहे तो वह वैकल्पिक इंतजाम लेने से इनकार कर सकता है. यह उसके अधिकारों में आता है. वहीं, फ्लाइट लेट होने या कैंसिल होने पर वह एयरलाइन से पूरे पैसे भी वापस मांग सकता है. ये कुछ ऐसे नियम हैं जो शायद ही लोग जानते हैं.

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क्या है एयरलाइन के नियम?

घरेलू फ्लाइट के छह घंटे या इससे ज्यादा लेट होने पर एयरलाइन को इसकी जानकारी मुसाफिरों को पहले से देनी होती है. फ्लाइट के लेट होने की स्थिति में पैसेंजर्स को वैकल्पिक फ्लाइट दिए जाने का भी नियम है. वहीं, अगर पैसेंजर चाहे तो टिकट का पूरा रिफंड मांग सकता है. वहीं, फ्लाइट कैंसिल होने की स्थिति में अगर एयरलाइन की तरफ कोई सूचना नहीं दी जाए तो एयरलाइन को 5,000 से 10,000 रुपए का हर्जाना भी देना होता है. यह भी पैसेंजर के अधिकारों में आता है. टिकट का पूरा रिफंड के मामले में एक क्लॉज है. रकम ट्रैवल टाइम और फ्यूल सरचार्ज सहित बेस फेयर पर निर्भर करती है.

और क्या-क्या हैं एयरलाइन के नियम?

एविएशन मंत्रालय ने साल 2019 में ही मुसाफिरों के अधिकारों से जुड़ा चार्टर जारी किया था. इनमें इन सभी प्रावधानों को जगह दी गई है. एयरलाइनों के साथ करीब नौ महीनों की चर्चा के बाद इसे जारी किया गया. अगर आप एयरपोर्ट पर हैं. फ्लाइट 2-6 घंटे लेट हो जाती है. उस स्थिति में एयरलाइन को आपको मुफ्त खाना और रिफ्रेशमेंट देना होगा. रात 8 बजे से सुबह 3 बजे के बीच शेड्यूल फ्लाइट के छह घंटे से ज्यादा लेट होने पर मुसाफिरों को एक दिन पहले सूचना देनी होगी. साथ ही होटल में रुकने की मुफ्त व्यवस्था करनी होगी. हालांकि, विदेश में छुट्टी बिताने के लिए टिकट बुक कराने वाले पैसेंजर्स को इसमें कोई राहत नहीं मिलती है.

मिलती है दूसरी फ्लाइट

अगर एयरलाइन ने फ्लाइट कैंसिलेशन की जानकारी दो हफ्तों से कम और 24 घंटों से ज्यादा समय में दी तो उसे वैकल्पिक फ्लाइट का इंतजाम करना होगा. ऐसा नहीं करने पर उसे पूरा रिफंड करना पड़ेगा. यहां वे लोग नुकसान में रहेंगे जो महीनों पहले टिकट बुक करा लेते हैं. कारण है कि एयरलाइन फ्लाइट के छूटने की तारीख से दो हफ्तों में कैंसिलेशन की सूचना दे देगी तो वह बच जाएगी. इस तरह के मामलों में पूरे रिफंड को शायद ही हर्जाना कहा जाएगा.