जेट एयरवेज (Jet Airways) दोबारा रनवे पर नजर आ सकती है. फिर से उड़ानें शुरू होने की उम्मीद जागी है. जेट एयरवेज के कर्मचारियों को भी वापस यूनिफॉर्म में लौटने का मौका मिलेगा. यह सबकुछ संभव है. क्योंकि, तीन कंपनियां जेट एयरवेज को खरीदने के लिए तैयार हैं. खरीदारों की लिस्ट में इन तीन कंपनियों के नाम शामिल हो गए हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि बहुत जल्द एयरलाइन एक बार फिर आसमान में नजर आएगी. 

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जेट एयरवेज के संभावित खरीदारों की लिस्ट में हिंदुजा ग्रुप (Hinduja Group), सिनर्जी ग्रुप और दुबई की फंड एजेंसी शामिल हैं. हालांकि, दुबई की इस कंपनी का नाम अभी तक सामने नहीं आया है. लैंडर्स ने भी जेट एयरवेज को खरीदने के लिए बोली लगाने की डेडलाइन 15 जनवरी 2020 तक बढ़ दी है.

15 जनवरी है आखिरी तारीख

जेट एयरवेज को खरीदने के लिए लैंडर्स ने एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रस्ट expressions of interest (EoI) मंगाए थे. लेकिन, अभी तक किसी भी कंपनी ने इसके लिए कोई आवेदन नहीं किया है. लाइवमिंट के मुताबिक, लेंडर्स ने जेट एयरवेज के लिए बोली की आखिरी तारीख 15 जनवरी तय की है. लैंडर्स ने साफ कर दिया है कि बोली लगाने की आखिरी तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. अगर तय वक्त तक बोली प्रक्रिया पूरी नहीं होती है तो कंपनी की लिक्विडेटिंग प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

हिंदुजा ग्रुप ने रखी शर्त

गोपीचंद पी हिंदुजा ने जेट एयरवेज को खरीदने से पहले ही शर्त रख दी है. हिंदुजा का कहना है कि अगर जेट एयरवेज पर कानूनी कार्रवाई और देनदारियां खत्म हो जाती है तो ही वह एयरलाइन को खरीदेगी​. हिंदुजा ग्रुप ऑटोमोबाइल, वित्तीय सेवा, ऑयल एंड गैस समेत कई दूसरे बिजनेस में भी शामिल है. हिंदुजा ग्रुप के अलावा बोली लगाने वालों की लिस्ट में सिनर्जी ग्रुप भी शामिल है. इस कंपनी के मालिक 69 वर्षीय बोलीविया के अरबपति जर्मेन एफ्रोमोविच हैं.

सिनर्जी के लिए FDI नियमों के पेंच

सिनर्जी ग्रुप के लिए जेट को खरीदने के लिए बोली लगाना आसान नहीं होगा. क्योंकि, भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के तहत कोई भी विदेशी कंपनी भारत की एयरलाइन में 49 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी नहीं खरीद सकती है. ऐसे में उसे बोली लगाने के लिए किसी भारतीय कंपनी के साथ करार करना होगा. साथ ही कानूनन एयरलाइन कंट्रोल की जिम्मेदारी भारतीय प्रोमोटर्स के हाथ में होनी चाहिए और कंपनी के बोर्ड मेंबर्स में ​अधिकतर सदस्य भारतीय होने चाहिए.

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जेट एयरवेज पर दिवालिया कार्रवाई

साल 2019 में 18 अप्रैल को फंड की कमी के चलते जेट एयरवेज का परिचालन बंद कर दिया गया था. इसके बाद मुंबई में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल (NCLT) ने जेट एयरवेज के खिलाफ दिवालिया कानून की कार्रवाई करने को भी मंजूरी दी थी. NCLT के नियमों के मुताबिक, जेट एयरवेल के रेजॉल्यूशन प्लान को 270 दिनों के अंदर पूरा करना है. जेट एयरवेज का कुल घाटा बढ़कर 13,000 करोड़ रुपए से ज्यादा हो चुका था.