सरकार देश में ही यात्री विमानों के विनिर्माण का खाका तैयार करने पर काम कर रही है. साथ ही देश के भीतर की इसके वित्तपोषण की व्यवस्था करने पर विचार कर रही है. नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार को यह बात कही. प्रभु ने वैश्विक विमानन शिखर सम्मेलन 2019 में मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार चाहती है कि विमानों के रखरखाव, मरम्मत और आमूल-चूल परिवर्तन (एमआरओ) का काम भारत में ही किया जाए. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

2,300 नए विमानों की जरूरत

प्रभु ने चेताया कि यदि यह काम देश से बाहर होगा तो सरकार को पैसों का नुकसान होगा और रोजगार पर भी इसका असर पड़ेगा. नागर विमानन मंत्रालय, भारतीय हवाईपत्तन प्राधिकरण और उद्योग मंडल फिक्की मिलकर इस शिखर सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं. प्रभु ने कहा, "हम भारत में विमानों के विनिर्माण के लिये जल्द खाका पेश करेंगे." उन्होंने कहा कि देश की हवाई यात्रा की मांग को पूरा करने के लिये 2,300 नए विमानों की जरूरत है. हम इसके लिये दुनिया भर की शीर्ष विमानन कंपनियों के साथ हाथ मिला सकते हैं. 

विमानन मंत्री ने कहा कि सरकार चाहती है कि विमानों के वित्तपोषण का काम घरेलू कंपनियों द्वारा किया जाए. प्रभु ने कहा, "हम विमानों के वित्तपोषण पर पहले से ही काम कर रहे हैं और विचार कर रहे हैं भारत में ऐसा कैसे हो सकता है. बाहरी कंपनियों की वजह से हमें संसाधनों का भारी नुकसान हो रहा है." 

नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु (फाइल फोटो)

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस का दायरा बढ़ेगा

भारतीय विमानन क्षेत्र का दायरा देखभाल के क्षेत्र में भी बढ़ेगा. विमानों की देखभाल और मरम्मत (एमआरओ) का कारोबार वर्तमान में 0.7 अरब डॉलर से बढ़कर वर्ष 2020 में 1.5 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा. विमान के देखभाल और मरम्मत क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है इंजन मेंटेनेंस. इसके बाद लाइन मेंटेनेंस, कम्पोनेंट मेंटेनेंस, एयरफ्रेम हेवी मेंटेनेंस और मोडिफिकेशन शामिल हैं. फिलहाल भारत में एमआरओ की कमजोर इन्फ्रास्ट्रक्चर की वजह से दुनिया के 40 से अधिक एमआरओ सुविधा प्रदाता से मदद ली जाती है. 

(इनपुट एजेंसी से)