कोविड-19 महामारी की शुरुआत को दो सालों से ज्यादा वक्त के बाद भी देश के कई सेक्टर इसका दंश महसूस कर रहे हैं. एविएशन सेक्टर भी इनमें शामिल हैं. हालांकि, बीते एक साल में एयर ट्रैफिक में तेजी आई है और फुटफॉल भी पहले की तरह लौट रहा है, लेकिन सेक्टर में लिक्विडिटी क्रंच बना हुआ है. इसे देखते हुए सरकार ने बुधवार को एक अहम कदम उठाया है. वित्त मंत्रालय ने कोविड-19 से प्रभावित एविएशन इंडस्ट्री को नकदी संकट से उबारने में मदद करने के लिए आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना या Emergency Credit Line Guarantee Scheme (ECLGS) में संशोधन किया है. मंत्रालय ने इस योजना के तहत कर्ज की सीमा 400 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,500 करोड़ रुपये कर दिया है.

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एविएशन सेक्टर के लिए ECLGS 3.0

इस संबंध में बुधवार को जारी बयान के अनुसार, वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने यह मानते हुए कि देश के आर्थिक विकास के लिए एक कुशल और मजबूत सिविल एविएशन सेक्टर अहम है, जिसे देखते हुए एयरलाइनों के लिए अधिकतम लोन की रकम की पात्रता या एलिजिबिलिटी बढ़ाने के लिए मंगलवार को ECLGS में संशोधन किया गया है.

संशोधित ईसीएलजीएस 3.0 के अनुसार, एयरलाइन कंपनियों की पात्रता उनकी निधि-आधारित या गैर-निधि-आधारित ऋण का 100 प्रतिशत या 1,500 करोड़ रुपये, जो भी कम हो, के आधार पर तय होंगी. वहीं, 30 अगस्त 2022 को जारी ईसीएलजीएस के दिशानिर्देशों के तहत दिए गए सभी मानदंड, नियम और शर्तें पहले की तरह ही लागू रहेंगी.

बयान के अनुसार, संशोधनों का उद्देश्य विमानन कंपनियों को मौजूदा लिक्विडिटी फ्लो की दिक्कतों से निपटने के लिए उचित ब्याज दरों पर जरूर गिरवी-मुक्त नकदी की सुविधा देना है.

इससे पहले मार्च 2022 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2022-23 में की गई घोषणा को लागू करने के लिए ईसीएलजीएस की अवधि को मार्च 2022 से बढ़ाकर मार्च 2023 कर दिया था.