Go First Airways: दिवालिया घोषित कने के गो फर्स्ट की अर्जी पर नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) में सुनवाई शुरू हो गई है. वोलंट्री इंसॉल्वेंसी रेजोल्यूशन की अर्जी पर सुनवाई हो रही है. वाडिया समूह की गो फर्स्ट ने NCLT में लगाई अर्जी में कहा था कि वो अपने वित्तीय दायित्वों के बोझ को उठाने में असमर्थ है. कंपनी के विमानों के इंजन की सप्लाई समय पर नहीं किए जाने के चलते 50 फीसदी विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं. हालांकि, कंपनी को रिवाइवल की उम्मीद है. गो फर्स्ट की तरफ से वकील ने NCLT में कहा कि लेनदारों के भुगतान की आज आखिरी तारीख है. 28 विमान अभी भी जमीन पर हैं, जबकि 26 फ्लाइट उड़ान भर रहे हैं. 2019 तक कंपनी प्रॉफिट में थी. ऐसे में कंपनी के रिवाइवल प्लान पर काम हो रहा है. 

प्रोमोटर्स ने डाली 290 करोड़ की पूंजी

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GO First की इन्सॉल्वेंसी याचिका पर NCLT में सुनवाई के दौरान वकील ने बताया कि अप्रैल में प्रोमोटर्स ने कंपनी में 290 करोड़ रुपए की पूंजी डाली है. Pratt & Whitney ने फॉल्टी इंजन सप्लाई किए थे. ये सिर्फ गो फर्स्ट को नहीं बल्कि बाकी एयरलाइंस को भी सप्लाई दी गई. इससे दिक्कतें बढ़ी हैं. गो फर्स्ट के पास अभी भी 8 फीसदी मार्केट शेयर है. सभी फंडामेंटल्स भी सही हैं. 6 मई तक कंपनी के साथ 1.9 मिलियन यात्रियों ने बुकिंग की है. 

मुश्किल में कर्ज देने वाले बैंक 

गो फर्स्ट पर 6521 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है. बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, IDBI बैंक, एक्सिस बैंक और डोएश बैंक ने गो फर्स्ट को कर्ज दिया है. अगर गो फर्स्ट दिवालिया होती है तो इनका पैसा डूबने का खतरा है. ऐसी स्थिति में जिन बैंकों ने एयरलाइंस को कर्ज है, उनकी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. 

बेचने को तैयार नहीं मैनेजमेंट

गो फर्स्ट के CEO कौशिक खोना ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि इंसॉल्वेंसी के लिए आवेदन करने का मतलब ये नहीं है कि एयरलाइंस को बेचने की तैयारी है. प्रमोटर वाडिया ग्रुप एयरलाइंस के कारोबार से बिलकुल बाहर नहीं आना चाहती है. बैंकों के कर्ज के साथ हजारों लोगों की नौकरी का भी सवाल है. उन्होंने कहा कि हालात को संभालने के लिए और कर्मचारियों को ध्यान में रखते हुए एयरलाइंस को संकट से उबरने के लिए सभी कोशिशें की जा रही है.