Go First Crises: घरेलू एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट को लेकर लगातार अपडेट आ रहे हैं. आर्थिक तंगी से जूझ रही एयरलाइन के लिए आज का दिन बड़ा है. क्योंकि एविएशन रेगुलेटर DGCA को जवाब सौंपने की आज डेडलाइन है. बता दें कि DGCA ने उड़ाने रोकने को लेकर 15 मई तक जवाब मांगा था. सरकार भी एविएशन सेक्टर में जारी दिक्कतों पर नजर बनाए हुए है. खासकर गो फर्स्ट की जिन रूट्स पर उड़ानें थी.

मामले पर रेगुलेटर और सरकार की नजर 

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DGCA ने गो फर्स्ट को 15 मई तक जवाब देने को कहा था. एयरलाइन को गैर-जिम्मेदार तरीके से ऑपरेशन बंद करने और यात्रियों के रिफंड की व्यवस्था नहीं करने के लिए DGCA ने नोटिस दिया था. DGCA और सरकार दोनों ने मामले को बढ़ते देखते हुए नजरें बढ़ा दी है. सूत्रों के मुताबिक सरकार सभी एयरलाइन्स के किराए पर नजर बनाए हुए है. खासकर उन रूट्स पर जहां Go First की उड़ाने थीं.

स्थिति से निपटने के लिए उपाय

  • CTC बिल को जल्द पास कराने पर जोर
  • कानून के अनुसार 2008 में हुए समझौते को आधार मानते हुए Lessors के लिए बेहतर माहौल तैयार करने की कोशिश
  • ताकि Go First जैसी स्थिति या पेमेंट डिफॉल्ट होने पर उनके एसेट्स फंसने की गुंजाइश कम हो
  • AWG ने भी भारत को Watch List नोटिस जारी किया है

बिल क्या कहता है?

जब कभी कोई एयरलाइन्स पेमेंट या किसी अन्य तरह का डिफ़ॉल्ट करे तो उसके एसेट केस के पूरा होने तक अटके नहीं. उसका इस्तेमाल Lessor कर सके और अपने एसेट का आगे क्या होगा यह फ़ैसला लेने के लिए बेहतर माहौल बन सके. साथ ही इस तरह के स्टेप्स इसलिए भी जरूरी हैं, क्योंकि ऐसी सूरत में आने वाले दिनों में Leasing की शर्तें और दर में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.

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