Go First ने 30 मई तक कैंसिल की सभी फ्लाइट्स, रिफंड को लेकर दिया ये बड़ा अपडेट
Go Air Flights Cancelled: एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट ने अपनी सभी फ्लाइट्स 30 मई तक रद्द करने का फैसला किया है. इससे पहले ये फ्लाइट्स 28 मई तक रद्द थी. एयरलाइन कंपनी ने ट्वीट कर ये जानकारी दी है.
Go Air Flights Cancelled: वित्तीय संकट में फंसी एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट ने सभी ऑपरेशन 30 मई तक रद्द कर दिए गए हैं. इससे पहले शुक्रवार दोपहर तक 28 मई तक बढ़ाया था. एयरलाइन ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. यात्रियों को पूरा रिफंड करा जाएगा. आपको बता दें कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने समस्या में फंसी एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट से अपना परिचालन फिर शुरू की है. इससे पहले विस्तृत पुनरुद्धार योजना पेश करने को कहा है.
30 मई 2023 तक फ्लाइट्स कैंसिल
गो फर्स्ट एयरलाइन्स ने ट्वीट कर लिखा है, 'हमें आपको ये बताते हुए दुख हो रहा है कि परिचालन संबंधी दिक्कतों के कारण गो फर्स्ट की फ्लाइट्स 30 मई 2023 तक कैंसिल कर दिए हैं. हमें आपको हुई परेशानी पर खेद है. पूरा रीफंड जल्द ही आपके अकाउंट मं भेज दिया जाएगा. हम ये जानते हैं कि फ्लाइट्स के कैंसिलेशन के कारण आपके ट्रैवल प्लान बधित हुए हैं. हम आपकी पूरी साहयता करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं.' आपको बता दें कि स्वैच्छिक दिवाला कार्यवाही का सामना कर रही कंपनी की उड़ानें तीन मई से बंद है.
DGCA ने मांगी थी ये जानकारी
पीटीआई के सूत्र ने कहा कि डीजीसीए ने एयरलाइन से संचालन योग्य विमान, पायलट और अन्य कर्मियों, देखभाल प्रबंधन और कोष समेत अन्य चीजों की जानकारी देने के लिए कहा था. सूत्रों ने बताया कि गो फर्स्ट की ओर से पुनरुद्धार योजना पेश किए जाने के बाद डीजीसीए आगामी कार्यवाही के लिए इसकी समीक्षा करेगा. DGCA की ओर से आठ मई को भेजे कारण बताओ नोटिस जवाब में आग्रह किया था कि संचालन बहाल करने के लिए एक व्यापक पुनर्गठन योजना तैयार करने डीजीसीए के समक्ष प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाए.
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NCLT ने स्वीकार की थी याचिका
राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने सोमवार को एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट की स्वैच्छिक रूप से ऋणशोधन प्रक्रिया में जाने की याचिका स्वीकार करने के एनसीएलटी के आदेश को बरकरार रखा है. अपीलीय न्यायाधिकरण की दो सदस्यीय पीठ ने ऋण शोधन कार्यवाही का विरोध कर रही विमान पट्टे पर देने वाली कई कंपनियों से मामले में राहत के लिये राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास जाने को कहा है.