एविएशन मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने कहा- प्राइवेट एयरलाइंस भी 'वंदे भारत मिशन' का हिस्सा बनेंगी
वंदे भारत मिशन में जल्द ही प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को भी शामिल किया जाएगा.
केंद्र सरकार सोमवार से घरेलू उड़ान सेवा शुरू कर रही है. देश में फ्लाइट्स सर्विस लॉकडाउन के चलते पिछले दो महीने से बंद पड़ी हुई हैं. इसके अलावा सरकार ने विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाने के लिए वंदे भारत मिशन शुरू किया हुआ है. देश की विमानन कंपनियों की इस तमाम सर्विस के बारे में ज़ी बिजनेस की एग्जिक्यूटिव एडिटर स्वाति खंडेलवाल ने केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी से बातचीत की.
पेश हैं इस बातचीत के कुछ चुनिंदा अंश
25 मई से हवाई अड्डों से घरेलू एयरलाइन सर्विस शुरू हो रही हैं. सरकार के इस फैसले से आम आदमी समेत विमानन कंपनियों भी राहत की सांस ली है. लॉकडाउन से तमाम एयरलाइन कंपनियों काफी नुकसान उठाना पड़ा है. कंपनियां की मांग है कि सरकार उन्हें भी कुछ राहत दे. सरकार ने इस बारे में अपनी प्लानिंग भी की है.
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी कहते हैं कि अगर पूरी तस्वीर पर नजर डालें तो देश में पिछले दो महीनों से लॉकडाउन की स्थिति है. इस वजह से एयरलाइन कंपनियों की आमदनी जीरो हो गई है. लेकिन कुछ कंपनियां की इस कोरोना काल में कार्गो सर्विस चल रही हैं. कहीं जरूरी सामान की सप्लाई हो रही है तो कहीं मेडिकल सामान की. और इन सभी के बदले विमानन कंपनियों को पेमेंट किया जा रहा है.
कार्गो सर्विस को छोड़कर एयरलाइंस कंपनियों का कॉमर्शियल ऑपरेशन ठप पड़ा है. कंपनियों को पिछले दो महीने से कोई काम नहीं मिला है.
लेकिन ऐसा नहीं है कि अकेले एयरलाइन कंपनियों को यह परेशानी झेलनी पड़ी है. देश की पूरी अर्थव्यस्था इससे प्रभावित है. किसी भी क्षेत्र में कोई बिजनेस नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस संकट की घड़ी में एयरलाइन कंपनियों के साथ पूरी साहनभूति रखता है और हर संकट में उनके साथ खड़ा है.
जहां तक इस सेक्टर को राहत देने की बात है तो वित्त मंत्री ने तमाम सेक्टर के साथ एविएशन सेक्टर को भी राहत देने का काम किया है.
MOR में लगाने वाली जीएसटी पर छूट
वित्त मंत्री ने विमानन कंपनियों के लिए एयरक्राफ्ट के रखरखाव, रिपेयर (MOR) आदि पर लगने वाली जीएसटी की दरों में काफी राहत दी है.
पहले हम अपने विमानों और इंजनों को रिपेयरिंग के लिए सिंगापुर जैसे देशों को भेजते थे, क्योंकि यहां यह काम महंगा पड़ता था. इस समस्या को देखते हुए इस पर लगने वाली जीएसटी की दरों को कम किया गया है.
अब चीजें लगातार बदल रही हैं. पहले सिविल एविएशन के पास भारत का का केवल 65 परसेंट ही एयर स्पेस था. जो कि अब और बढ़ा है. इससे हवाई दूरी में 20 से 25 फीसदी तक की कमी आई है.
वंदे भारत मिशन
विदेशों में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए भारत सरकार ने 6 मई को 'वंदे भारत मिशन' शुरू किया था. इस मिशन के पहले चरण में 12,800 लोगों को भारत लाया गया था. अभी तक 22,000 लोगों को विभिन्न देशों से लाया गया है.
कुछ प्राइवेट सेक्टर की एयरलाइन कंपनियों ने इस मिशन में मदद करने की बात कही है. सरकार इन कंपनियों के ऑफर पर विचार कर रही है. जल्द ही प्राइवेट कंपनियों को भी इस मिशन में शामिल किया जाएगा.
घरेलू उड़ान सर्विस
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सोमवार से घरेलू उड़ान सेवा शुरू हो रही है. हालांकि शुरूआती दौर में केवल 33 परसेंट विमान सर्विस शुरू की जा रही है, लेकिन आने वाले दिनों में इसमें तेजी आएगी.
घरेलू सर्विस के बाद जल्द ही इंटरनेशनल सर्विस शुरू की जाएगी. हालांकि इसके बारे में कोई तारीख तय नहीं की गई है, लेकिन अगस्त या सितंबर में इंटरनेशन सर्विस शुरू करने की संभावना बन सकती हैं. सही समय आने पर हम इंटरनेशनल रूट्स को भी खोलेंगे.
किराए पर कंट्रोल
घरेलू उड़ानों में हवाई किराए को कंट्रोल किया गया है. यह आम लोगों के लिए एक बड़ी राहत है. इसमें मैं दो बातों का उल्लेख करना चाहूंगा कि हमारे यहां हवाई यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हमारी घरेलू उड़ानों की तादाद लगातार बढ़ रही है. घरेलू के अलावा भारत-अमेरिका का रूट भी बहुत फायदेमंद रूट है.
अब बात किराए की करें तो हमारे हाथ में केवल तीन महीने तक किराए को कंट्रोल करके रखने की क्षमता है. ये तीन महीने देश में उपजे संकट के हालात के लिए है.
सोमवार से केवल 33 परसेंट उड़ान ही शुरू की जा रही हैं. जबकि डिमांड कहीं ज्यादा है.
मान लीजिए कि 100 सीटों की मांग है और हम केवल 33 सीट ही मुहैया कर सकते हैं. इसमें भी अधिकतम किराया 12,000 रुपये फिक्स किया हुआ है. ऐसे में एयरलाइन कंपनियां एक सीट के अधिकतम किराया वसूल करेंगी. यह एक समस्या है.
दूसरी तरफ अगर फ्लाइट खाली जाती है, उनके पास कोई मुसाफिर नहीं है, तो ऐसे में उन्हें प्रमोशनल किराए के लिए ऑफर दिया जा सकता है.
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20 साल पहले दिल्ली-मुंबई के बीच एवरेज किराया 5100 रुपये होता था, लेकिन अब यह 4600 रुपये पर पहुंच गया है. कुछ एयरलाइन तो दिल्ली-मुंबई रूट के लिए 1100 रुपये तक में टिकट बेचती हैं.
चाहे वह कंपटीशन में या फिर खाली फ्लाइट के चक्कर में कम दामों पर टिकट बेच रहे हैं तो यह स्थिति भी ठीक नहीं है. इसलिए इन हालातों को देखते हुए टिकट की कीमतों को फिक्स्ड किया गया है.