ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव, प्रतिफल की अनिश्चितता और हवाई अड्डों में बुनियादी ढांचे की दिक्कत भारतीय विमानन बाजार के लिए तीन प्रमुख समस्याएं बनी हुई हैं. स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने यह बात कही. प्रति मील हर यात्री द्वारा भुगतान किया गया औसत राजस्व की माप प्रतिफल कहलाता है. सिंह ने कहा, "विमानन कंपनियों के नजरिए से सबसे बड़ा जोखिम वास्तव में ईंधन हैं. हम ज्यादा ईंधन दक्ष विमान प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं." 

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कच्चे तेल ने किया मजबूर

सिंह ने कहा कि कच्चे तेल के दाम 86 डॉलर तक चढ़ गए थे, जिसके चलते कंपनियों को अपने मॉडल पर फिर से विचार करने पर मजबूर होना पड़ा और यह जांच-पड़ताल करना पड़ा कि कहां और कैसे ज्यादा पैसे बचाया जा सकता है. सिंह ने कहा कि कहा कि दूसरा जोखिम प्रतिफल में घट-बढ़ है. मुझे लगता कि हमने पिछले साल बड़े पैमाने पर क्षमता की डंपिंग देखी थी. ये क्षमताएं उन्हीं बाजारों (क्षेत्र एवं मार्ग) में लगाई जा रही थी, जहां पहले से बड़ी संख्या में उड़ानें हैं. 

उन्होंने कहा कि यह जोखिम है, हालांकि मुझे लगता है कि इसमें कुछ सुधार हुआ है. पिछले कुछ महीनों में हमने इस दिशा में नरमी देखी है. स्पाइसजेट के चेयरमैन ने मेट्रो शहरों के हवाई अड्डों पर बुनियादी ढांचे की कमी एक बड़ी चिंता है. बुनियादी ढांचे के लिहाज से दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डे निश्चित रूप से एक चुनौती बने रहेंगे." कई विमानन कंपनियां मेट्रो शहरों में हवाई अड्डों पर स्लॉट की कमी के बारे में नागर विमानन मंत्रालय से शिकायत कर चुके हैं.

 

 

ईंधन लागत प्रति सीट 25 पैसे कम होगी

स्पाइसजेट अपने बेड़े में नए विमान शामिल करने की तैयारी कर रही है. एयरलाइन पर एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले वित्त वर्ष 2019-20 में स्पाइसजेट की ईंधन लागत प्रति उपलब्ध सीट प्रति किलोमीटर (सीएएसके) 25 पैसे घट जाएगी. यह अनुमान कच्चे तेल के मौजूदा दाम तथा रुपये के स्तर के हिसाब से लगाया गया है. गुरुग्राम की एयरलाइन का दिसंबर तिमाही का शुद्ध लाभ 77 प्रतिशत घटकर 55 करोड़ रुपये रह गया है. ब्रोकरेज कंपनी इलारा कैपिटल ने मंगलवार को एक नोट में कहा कि एयरलाइन अपने बेड़े में अधिक ईंधन दक्ष बोइंग 737 मैक्स 8 विमानों को शामिल कर रही है, जिससे उसकी लागत 10 पैसे प्रति सीट प्रति किलोमीटर और घट सकती है. 

(इनपुट एजेंसी से)