इस बात की संभावना कम है कि विमानन नियामक डीजीसीए विमान के टिकटों को रद्द करने पर लगने वाले शुल्क को टिकट पर स्पष्ट तौर पर मुद्रित करने को अनिवार्य बनाएगा. इसकी बजाय नियामक शुल्क को बुकिंग के समय "स्पष्ट तौर पर इंगित करने" की वकालत कर रहा है.

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नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के समक्ष अपने प्रजेंटेशन में नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने कहा कि 'टिकट पर उसे रद्द कराये जाने का शुल्क प्रमुख तौर पर मुद्रित किये जाने' के प्रस्ताव की बजाय 'बुकिंग के समय टिकट रद्द करने का शुल्क प्रमुखता से इंगित' किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकार किया जाना चाहिए.

यह प्रावधान यात्री चार्टर के मसौदे का हिस्सा है. बैठक के ब्योरे के मुताबिक इस मुद्दे पर विचार-विमर्श अब भी चल रही है. उसके मुताबिक नागर विमानन राज्य मंत्री 'चाहते हैं' कि चार्टर का मसौदा फरवरी के आखिर तक पूरा कर लिया जाए और जारी कर दिया जाए.

पिछले साल 22 मई को जारी यात्री चार्टर प्रावधान के मसौदे में कहा गया था कि 'टिकट रद्द कराये जाने का शुल्क टिकट पर कम से कम 12 नंबर फांट में स्पष्ट तौर पर मुद्रित होना चाहिए.'

डीजीसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एयरलाइनों की अपत्ति के बाद इस प्रस्ताव में बदलाव कर दिया गयाा है. प्रस्तुति में कहा गया है कि इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) ने डीजीसीए से कहा है कि दिया कि ईटिकट पर जगह खाली रहने पर रद्द करने के शुल्क का दिखाया जाएगा और एयरलाइन कंपनियां टिकट खरीदने से पहले ग्राहकों को किराए की शर्त का नोटिस देंगी.