सरकार ने एयरपोर्ट की सुरक्षा को और ज्यादा चाक-चौबंद करने के लिए कई कदम उठाए हैं. एयरपोर्ट की सुरक्षा के ई-गवर्नेंस सिस्टम शुरू किया जा रहा है. ई-गवर्नेस के तहत हवाईअड्डे पर बायोमेट्रिक वाले केंद्रीयकृत पहुंच नियंत्रण प्रणाली (CACS) और ई-बीसीएएस परियोजना का प्रशिक्षण मॉड्यूल शुरू किया जा रहा है. 

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सीएसीएस परियोजना का उद्देश्य भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) के 43 हवाईअड्डों (Airports) और संयुक्त उद्यम के 5 हवाईअड्डों के साथ हवाईअड्डों पर कर्मचारियों के आवागमन की प्रक्रिया को डिजिटल बनाना है. इस बहुस्तरीय सुरक्षा प्रणाली में हवाईअड्डा प्रवेश परमिट (एईपी) उपयोगकर्ताओं की विशिष्टता, संपर्क रहित स्मार्ट कार्ड प्रौद्योगिकी के जरिए पीआईएन आधारित पहचान एवं सत्यापन शामिल है.

इसके अलावा, बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण भी इसमें शामिल है. यह व्यवस्था क्षेत्र, टर्मिनल, जोन और प्रवेश द्वार विशेषाधिकार के अनुसार स्वचालित वाहन पहुंच नियंत्रण प्रणाली पर आधारित आरएफआईडी के साथ कर्मचारियों के आवागमन का प्रबंधन करता है.

इस प्रणाली में उपयोग होने वाले कार्ड की लागत 225 रुपये है जो 3 वर्षों के लिए मान्य होगा. इस तरह जारी किया गया बायोमेट्रिक आईडी की नकल नहीं की जा सकती है.

नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हरदीप सिंह पुरी के मुताबिक, शुरू की गई दोनों परियोजनाएं हवाईअड्डों पर सुरक्षा दुरुस्त करने और वहां कार्य संचालन को आसान बनाने के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदम हैं.

 

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने हाल ही में विभिन्न हवाईअड्डों- अहमदाबाद, चेन्नई और कोलकाता में कार्यस्थल स्वीकृति परीक्षण का सफल आयोजन किया है.

सीएसीएस परियोजना कार्य संचालन प्रक्रिया को आसान बनाएगी, सुरक्षा बढ़ाएगी और हवाईअड्डे पर अनधिकृत प्रवेश को रोकेगी. अधिकारियों को किसी घुसपैठ या अन्य अनियमितताओं पर तत्काल प्रतिक्रिया के लिए सतर्क भी करेगी.

इस परियोजना से हवाईअड्डे पर कुल मिलाकर कार्य संचालन में न केवल आसानी हो रही है, बल्कि सुरक्षा प्रणाली भी उन्नत हुई है. सीएसीएस परियोजना हवाईअड्डे से जुड़े लगभग 2 लाख कर्मचारियों के रोजाना आवागमन में मदद करेगी.