Airlines Unfare Trade Practice: फेस्टिव सीजन आ चुका है. इस दौरान अपने घर जाने के लिए ट्रेनों में कंफर्म टिकट मिलना बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में लोगों के पास फ्लाइट से सफर करना भी एक ऑप्शन होता है. लेकिन फ्लाइट से जाने के लिए लोगों को टिकट बहुत महंगे मिलते हैं. इसके बावजूद अगर आप फ्लाइट बुक कराना भी चाहे, तो एयरलाइंस फ्लाइट टिकट के दाम के ऊपर कई तरह के चार्जेस लगा देती है, जिससे आपको और भी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है. सरकार ने एयरलाइन कंपनियों के इस 'डार्क पैटर्न' पर सवाल उठाते हुए एविएशन से जुड़े स्टेकहोल्डर्स की एक बैठक बुलाई है.

क्या है फ्री वेब चेक इन का खेल?

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आप जब एक फ्लाइट टिकट बुक करने जाते हैं, तो इसके दाम लगातार बदलते रहते हैं. ऐसे में लोग कई बार ये सोच कर पहले बुकिंग करा लेते हैं कि आगे इन टिकट्स के दाम और बढ़ जाएंगे. इसके बाद आपको टिकट का जो दाम बताया जाता है, टिकट उसी कीमत पर बुक नहीं होती है. एयरलाइंस आपको सहूलियत देने के नाम पर ऑनलाइन फ्री वेब चेक इन करने को कहती है. हालांकि, वेब चेक इन के दौरान अपनी पसंद की सीट सेलेक्ट करने पर आपको एक्स्ट्रा चार्ज देना पड़ता है.

कैसे जेब काटती हैं एयरलाइंस?

इसके बाद एयरलाइंस इंश्योरेंस के नाम पर भी कुछ चार्ज और जोड़ देती है. ये पूरी तरह से पैसेंजर्स पर निर्भर करता है कि वो अपने सफर के लिए इंश्योरेंस लेना चाहते हैं या नहीं. हालांकि अगर कोई पैसेंजर ये इंश्योरेंस न लेना चाहे, तो उसे ये कहकर डराया जाता है कि इस स्थिति में किसी भी तरह की अनहोनी के लिए एयरलाइन की जिम्मेदारी नहीं होगी. 

सरकार ने 8 नवंबर को बुलाई बैठक

सरकार ने बताया कि एयरलाइंस की इसी मनमानी को संज्ञान में लिया गया है. अभी तक नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर एयरलाइंस की इन हरकतों को लेकर 10000 से अधिक शिकायतें आ चुकी हैं. 8 नवंबर को उपभोक्ता मामले के मंत्रालय ने एयरलाइंस और उड़ान से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स की एक बैठक बुलाई है. 

फेस्टिव सीजन के दौरान एयरलाइंस के लिए ये शिकायतें ज्यादा बढ़ जाती हैं. उपभोक्ता मामले के सचिव रोहित सिंह ने कहा कि पैसेंजर्स के लिए वेब चेक इन फ्री होनी चाहिए और अगर एयरलाइंस ये चार्ज लगाती ही हैं, तो उन्हें अपने पैसेंजर्स को इस बारे में साफ-साफ बताना चाहिए.

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