भारत में सरकार की नीतियों से विमानन कंपनियों पर ‘‘अत्यधिक लागत’’ का बोझ पड़ रहा है और ढांचागत सुविधाओं की तंगी से उनकी वृद्धि के अवसर सीमित हो रहे हैं. आईएटीए के प्रमुख अलेक्जेंडर डे जुनियाक ने मंगलवार को यह बात कही. हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 2037 तक भारत के विमानन क्षेत्र में 50 करोड़ यात्रियों की वृद्धि का अनुमान है.

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नियमों के खिलाफ है टैक्स वसूली

भारत के विमानन क्षेत्र के बारे में विभिन्न प्रकार की चिंताओं को उठाते हुये उन्होंने कहा कि विदेश यात्रा के हवाई टिकटों पर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) वसूलना ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय नियमों के खिलाफ है बल्कि विमानन कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मकता को भी कमजोर बनाता है.विमानन कंपनियों के अंतरराष्ट्रीय संगठन आईएटीए (इंटरनेशनल एयरपोर्ट ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन) के प्रमुख एलेक्जेंडर डी जुनियाक ने कहा कि भारतीय विमानन क्षेत्र के सामने हवाईअड्डों का निजीकरण, बुनियादी ढांचा संबंधी चुनौतियां और महंगे विमान ईंधन जैसी तमाम चिंताएं हैं.

आईएटीए से दुनियाभर की 280 से भी ज्यादा विमानन कंपनियां संबद्ध हैं

आईएटीए से दुनियाभर की 280 से भी ज्यादा विमानन कंपनियां संबद्ध हैं. भारतीय विमानन कंपनी एयर इंडिया, जेट एयरवेज और विस्तार भी इसकी सदस्य हैं.यहां एक प्रेसवार्ता में जुनियाक ने कहा अंतरराष्ट्रीय हवाई टिकटों पर जीएसटी वसूली अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) के नियमों का उल्लंघन है. साथ ही यह विमानन कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता को कमजोर करता है. आईसीएओ संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा है. यह एक वैश्विक विमानन इकाई है. देश में हवाई टिकटों पर जीएसटी की दर इकनॉमी श्रेणी के लिए पांच प्रतिशत और बिजनेस श्रेणी के लिए 12% है.