पिछले लंबे समय से एयर इंडिया (Air India) में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया चालू है. लेकिन, सरकार को अभी तक एयरलाइन के लिए कोई खरीदार नहीं मिला है. अब सरकार का कहना है कि अगर जल्द ही विनिवेश पूरा नहीं होता तो एयर इंडिया को बेचना पड़ेगा. सिविल एविएशन मंत्री (Civil Aviation Minister) हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा में कहा है कि अगर एयर इंडिया नहीं बिकती है तो उसे बंद करना पडे़गा. बता दें सरकार ने एयर इंडिया की बिक्री मार्च 2020 तक बेचने का लक्ष्य है. पिछले साल भी सरकार ने एयर इंडिया में हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी, लेकिन शर्तों के मुताबिक कोई खरीदार नहीं मिला.

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बंद होगी एयर इंडिया?

एविएशन मिनिस्टर ने एयर इंडिया के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि कंपनी की हालत काफी खराब है. प्राइवेटाइजेश की कोशिश की जा रही है. अगर विनिवेश नहीं हो पाएगा तो मजबूरन उसे बंद करना पड़ सकता है. पुरानी ने कहा कि एयर इंडिया के सभी कर्मचारियों के हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा. लेकिन, एयरलाइन की स्थिति को देखते हुए अंतिम फैसला लेंगे.

क्यों नहीं बिक पाई एयर इंडिया?

एयर इंडिया में हिस्सेदारी बिक्री की कोशिश पिछले साल से हो रही है. लेकिन, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर निवेशकों ने बची हुई 24 फीसदी हिस्सेदारी में सरकारी हस्तक्षेप की आशंका जताई थी. हालांकि, अब इस शर्त को हटा दिया गया है. वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को 8,400 करोड़ रुपए का जबरदस्त घाटा हुआ है. फिलहाल एयर इंडिया की माली हालत इतनी खराब हैं कि ईंधन का बकाया तक तेल कंपनियों को नहीं दिया है. तेल कंपनियों ने भी बकाया नहीं मिलने पर ईंधन सप्लाई रोकने की धमकी दी थी.

एयर इंडिया पर कितना कर्ज?

एयर इंडिया पर कुल 58,000 करोड़ रुपए का कर्ज है. एयर इंडिया ने पिछले वित्त वर्ष में  लगभग 4600 करोड़ रुपए का ऑपरेटिंग नुकसान दर्ज किया है. तेल की ऊंची कीमतों और विदेशी मुद्रा के नुकसान के कारण उसका घाटा लगातार बढ़ रहा है. सरकार ने घाटे को कम करने के लिए भी एयरलाइन में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया शुरू की थी. हालांकि, अगर मार्च 2020 तक विनिवेश नहीं होता तो इसे बंद भी किया जा सकता है.