पुराने वाहनों को हटाने के लिए वाहन निर्माताओं ने कर डाला ये प्रस्ताव, प्रदूषण बनी चिंता
उद्योग ने सुझाव दिया है कि 2000 से पहले के वाहनों की जगह पर नए वाहन लाने के लिए सरकार को एकमुश्त प्रोत्साहन राशि देने पर विचार करना चाहिए.
वाहन विनिर्माता कंपनियों ने वर्ष 2000 से पहले पंजीकृत वाहनों की जगह पर नए वाहन सड़कों पर लाने के लिए कर में छूट के रूप में प्रोत्साहन राशि देने का प्रस्ताव रखा है. उद्योग से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी. भारी उद्योग मंत्रालय के साथ बजट पूर्व बैठक में उद्योग ने सरकार से यात्री कारों के लिए कर की अलग-अलग दर तय नहीं करने और वाहनों के ‘इलेक्ट्रिफिकेशन’ के लिए विशेष दर पर विचार करने का आग्रह किया.
80 प्रतिशत प्रदूषण पुराने वाहनों से
भारी उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों और वाहन उद्योग के प्रतिनिधियों के बीच हाल में हुई बैठक के दौरान ये सुझाव दिये गए. सूत्रों के मुताबिक वाहन उद्योग ने सरकार से जोर देकर कहा कि भारत में प्रदूषण और सुरक्षा के मद्देनजर पुराने वाहनों को हटाए जाने की जरूरत है. करीब 80 प्रतिशत प्रदूषण और दुर्घटनाएं 15 साल से भी अधिक पुराने और ऐसे वाहनों से होती हैं, जिनका रखरखाव ठीक से नहीं किया गया हो.
एकमुश्त प्रोत्साहन राशि मिले
उद्योग ने सुझाव दिया है कि 2000 से पहले के वाहनों की जगह पर नए वाहन लाने के लिए सरकार को एकमुश्त प्रोत्साहन राशि देने पर विचार करना चाहिए. उल्लेखनीय है कि पहला उत्सर्जन नियम वर्ष 2000 में लागू किया गया था. एक सूत्र ने कहा, “जीएसटी, सड़क कर में छूट, रियायती फाइनेंस के तौर पर प्रोत्साहन दिया जा सकता है.”
दिल्ली में समस्या बड़ी
दिल्ली में करीब 40 लाख पुराने वाहनों का पंजीकरण रद्द होने की संभावना है. लेकिन वर्ष 2014 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा प्रतिबंधित इन वाहनों में से अब तक केवल 3,196 वाहनों को ही जब्त किया जा सका है. एनजीटी ने 2014 में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया था.
इस नियम को लागू करने की जिम्मेदारी दिल्ली यातायात पुलिस और दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग पर थी. इस प्रतिबंध की पुष्टि उच्चतम न्यायालय ने भी की है. लेकिन सूचना के अधिकार (आरटीआई) से जुटाई गई जानकारी में इन करीब 40 लाख वाहनों में से केवल 0.079 प्रतिशत वाहनों को ही प्रतिबंधित किया जा सका है.
(इनपुट एजेंसी से)