केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) दिव्यांगों को हर तरह की सहूलियत मिलें, इस बारे में खासा ध्यान दे रही है. मेट्रो (Metro Train) और रेलवे स्टेशनों (Railways Station) पर दिव्यांगों के लिए बैसाखी, विशेष संकेत, वॉकर और हैंड रेल जैसी सुविधाएं शुरू की गई हैं. सरकार का ध्यान अब बसों की तरफ है. बसों में मार्च से दिव्यांगों के लिये विशेष सुविधाएं होंगी. नई व्यवस्था 1 मार्च 2020 से प्रभावी हो जाएगी.

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सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Transport Ministry) ने इसके लिए केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 में सुधार किया है और इस संशोधन को 27 दिसंबर, 2019 को अधिसूचित कर दिया गया.

संशोधन के तहत अब बसों में भी दिव्यांगों को प्राथमिकता वाली सीट, संकेत, बैसाखी / विशेष किस्‍म की छड़ी / वॉकर, हैंड रेल / स्टैनचेन और सीटों पर सुरक्षा के लिए उपाय, व्हील चेयर को बस में लाने, रखने तथा उसे लॉक करने की व्‍यवस्‍था जैसी सुविधाएं दी जाएंगी. बसों की फिटनेस जांच के समय यह देखा जाएगा कि बसों में ये सारी सुविधाएं दी गई हैं या नहीं. दिव्यांगों की सुविधा से लैस बसों को ही फिटनेस जांच सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा.

मोटर वाहन अधिनियम 1989 में संशोधन के लिए अधिसूचना जारी की गई थी और इस पर ऐसे लेागों से सुझाव और टिप्‍पणियां मांगी गई थीं जो इससे प्रभावित हो सकते हैं.

विकलांगों से दिव्यांग तक

बता दें कि दिसंबर, 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने विकलांगों को दिव्यांग (Divyang) कहने की अपील की थी. तभी से विकलांगों के लिए दिव्यांग शब्द का इस्तेमाल किया जाने लगा है. दिव्यांग कहने के पीछे प्रधानमंत्री का तर्क था कि किसी अंग से लाचार व्यक्तियों में ईश्वर की दी हुईं कुछ खास विशेषताएं होती हैं. विकलांग शब्द उन्हें हतोत्साहित करता है. इसलिए ऐसे लोगों को दिव्यांग कहना चाहिए.

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अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस

हर साल 3 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस (World Disability Day) मनाया जाता है. साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 दिसंबर को दिव्यांग दिवस के रूप में मानने की शुरूआत की थी. इस दिवस को मानने के पीछे संयुक्त राषट्र महासभा का उद्देश्य समाज के सभी क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देना और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में दिव्यांग लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था.