लगातार बढ़ते प्रदूषण और ईंधन की चुनौती को देखते हुए भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने और उसके लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की बड़ी चुनौती है. हालांकि सरकार इस पर बहुत गंभीर है और इसके लिए तैयारियां भी चल रही हैं. इलेक्ट्रिक वाहन के लिए चार्जिंग स्टेशन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. सरकार नेशनल हाइवे और चुनिंदा शहरों में इसके तहत हर तीन किलोमीटर पर एक चार्जिंग स्टेशन बनाने पर विचार कर रही है. सरकार का कहना है कि लोगों में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति जागरुकता बढ़ेगी.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ऊर्जा सचिव अजय कुमार भल्ला ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन तभी सफल होंगे जब चार्जिंग स्टेशन को जगह-जगह स्थापित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि हम फिलहाल कुछ चुने हुए शहर और नेशनल हाइवे पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने पर काम कर रहे हैं. हमें इन स्टेशन पर तेज गति से चार्ज करने वाली मशीनें लगानी होंगी. उनका कहना है कि शुरुआत में चार्जिंग स्टेशन को सरकार की तरफ से मदद का प्रस्ताव है.

भल्ला ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन के लिए कानूनी प्रावधान के मुताबिक लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं है. केंद्र सरकार ने कुछ इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल शुरू किया है. साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग सचिव युधवीर सिंह मलिक ने कहा है कि हमने सभी नए नेशनल हाइवे पर जगह-जगह 10 एकड़ में जमीन अधिग्रहण करना अनिवार्य किया है जिसमें चार्जिंग स्टेशन या उससे जुड़ी सुविधाएं मौजूद होंगी. इसके अलावा हमने रोड सेफ्टी पर खास ध्यान दिया है.

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन 

देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री कुल वाहनों की बिक्री के एक प्रतिशत से भी कम है. चारपहिया वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी भी महज 0.1% है. इसका मतलब है कि एक हजार सामान्य कार की बिक्री के मुकाबले एक इलेक्ट्रिक कार. देश में 2020 तक प्रतिवर्ष इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 10 फीसदी से अधिक बढ़ने का अनुमान है. इलेक्ट्रिक वाहनों की श्रेणी में तेजी से छोटी और मध्यम दूरी के लिए ई-रिक्शा बढ़ रहे हैं.

भारी उद्योग मंत्रालय के मुताबिक देश में इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जिंग स्टेशन के विस्तार के लिए 14 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी. अगले पांच साल में इलेक्ट्रिक वाहनों प्रोत्साहन के लिए 8700 करोड़ रुपए देने की योजना है.

(इनपुट एजेंसी से)