LMV ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले चला सकते हैं हैवी व्हीकल? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या हल्के मोटर वाहन (Light Motor Vehicle) के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति खास वजन का परिवहन वाहन चलाने का कानूनी रूप से हकदार है.
देश के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को ड्राइविंग लाइसेंस की कानूनी प्रक्रिया को लेकर एक निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एक कानूनी सवाल की 17 जनवरी तक समीक्षा करने का बुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या हल्के मोटर वाहन (Light Motor Vehicle) के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति खास वजन का परिवहन वाहन चलाने का कानूनी रूप से हकदार है. इस सवाल के कानूनी प्रावधान को लेकर केंद्र सरकार को निर्देश दिया है. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा, न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि संशोधन की कवायद के लिए कई हितधारकों के साथ परामर्श की आवश्यकता होगी जिसमें समय लगेगा.
अगले साल होगी सुनवाई
इसके अलावा पीठ ने कहा कि हम केंद्र को निर्देश देते हैं कि वह इस प्रक्रिया को पूरी तेजी के साथ आगे बढ़ाए. चूंकि राज्य सरकार के साथ परामर्श की परिकल्पना की गई है, हम सभी राज्य सरकारों को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा निर्धारित समय-सीमा का पालन करने का निर्देश देते हैं.
पीठ ने कहा कि कार्यवाही अब 17 जनवरी, 2024 को सूचीबद्ध की जाएगी, जिस तारीख तक हम उम्मीद करते हैं कि परामर्श पूरा हो जाएगा और केंद्र द्वारा उठाए जाने वाले आगे के कदमों का एक स्पष्ट रूपरेखा इस अदालत के समक्ष रखी जानी चाहिए. शुरुआत में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने केंद्र की ओर से एक नोट प्रस्तुत किया और कहा कि केंद्र सरकार इस मुद्दे के समाधान के लिए टुकड़ों में संशोधन के बजाय समग्र रूप से स्थिति पर विचार कर रही है. उन्होंने पीठ से इस बीच कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का आग्रह किया.
LMV लाइसेंस वाले चला सकते हैं भारी व्हीकल?
हालांकि शीर्ष अदालत ने कार्यवाही स्थगित करने से इनकार कर दिया और मामले को 17 जनवरी को सुनवाई के लिए निर्धारित कर दिया. यह भी स्पष्ट किया गया कि मामले के लंबित रहने के दौरान मुकुंद देवांगन मामले में फैसला प्रभावी रहेगा. शीर्ष अदालत ने पहले केंद्र सरकार से पूछा था कि इस कानूनी सवाल पर कानून में बदलाव की आवश्यकता है कि क्या हल्के मोटर वाहन चलाने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति एक विशेष वजन के परिवहन वाहन को चलाने का कानूनी रूप से हकदार है या नहीं. यह देखते हुए कि ये लाखों लोगों की आजीविका को प्रभावित करने वाले नीतिगत मुद्दे हैं, पीठ ने कहा था कि सरकार को इस मामले पर "नये सिरे से विचार" करने की जरूरत है, साथ ही यह भी कहा था कि इसे नीतिगत स्तर पर उठाए जाने की जरूरत है.
शीर्ष अदालत ने पहले इस कानूनी सवाल से निपटने के लिए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की सहायता मांगी थी कि क्या हल्के मोटर वाहन के लिए ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाला व्यक्ति कानूनी रूप से एक विशेष वजन के परिवहन वाहन को चलाने का हकदार है या नहीं. संविधान पीठ ने कहा था कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की स्थिति जानना आवश्यक होगा क्योंकि यह दलील दी गई थी कि मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मामले में शीर्ष अदालत के 2017 के फैसले को केंद्र ने स्वीकार कर लिया था और उन्हें निर्णय के साथ संरेखित करने के लिए नियमों में संशोधन किया गया था. मुकुंद देवांगन मामले में, शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने माना था कि परिवहन वाहन, जिनका कुल वजन 7,500 किलोग्राम से अधिक नहीं है, को एलएमवी (हल्के मोटर वाहन) की परिभाषा से बाहर नहीं रखा गया है.