कुकिंग ऑयल से अब चलेंगी कारें, इंडियन ऑयल ने शुरू की नई मुहीम
खाने का तेल (Cooking Oil) अब सिर्फ आपके भोजन का स्वाद ही नहीं बढ़ाएगा बल्कि आपकी कार में ईंधन (Fuel) के रूप में भी इसका इस्तेमाल हो सकेगा. इंडियन ऑयल (Indian Oil) एक खास मुहीम के तहत इस्तेमाल हुए कुकिंग ऑयल से बायोडिजल बनाने की कवायद शुरू करेगी.
रिपोर्ट : आशुतोष चंद्र
खाने का तेल (Cooking Oil) अब सिर्फ आपके भोजन का स्वाद ही नहीं बढ़ाएगा बल्कि आपकी कार में ईंधन (Fuel) के रूप में भी इसका इस्तेमाल हो सकेगा. इंडियन ऑयल (Indian Oil) एक खास मुहीम के तहत इस्तेमाल हुए कुकिंग ऑयल से बायोडिजल बनाने की कवायद शुरू करेगी. इंडियन ऑयल इसके लिए बिहार के बड़े-बड़े होटलों और दुकानों से संपर्क कर कुकिंग ऑयल के दोबारा इस्तेमाल के लिए जागरूकता अभियान चलाने जा रही है. इससे गाड़ी चलाने के लिए डीजल की जगह लोगों को बायोडीजल का विकल्प मिलेगा.
आपको बता दें कि FSSAI ने हाल में एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें तीन बार से ज्यादा इस्तेमाल हो चुके कुकिंग ऑयल का उपयोग रोकने की बात थी. डॉक्टरों की मानें तो तीन बार से ज्यादा इस्तेमाल के बाद कुकिंग ऑयल जहरीली कैटेगरी में आ जाता है. इससे एसिडिटी, हार्ट डिजीज, ब्लॉकेज, अल्जाईमर, कैंसर और बैड कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है. डाक्टर अजय कुमार भी बताते हैं कि कुकिंग ऑयल का 3 बार से ज्यादा इस्तेमाल आपकी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकता है.
इतना ही नहीं अगर खाने के तेल को ड्रेनेज में बहा दिया जाए तो पानी, जलीय जीव और मिट्टी को भी नुकसान पहुंचाता है. एक लीटर खाने का इस्तेमाल किया गया तेल 10 लाख लीटर साफ पानी को प्रदूषित कर सकता है.
इसलिए इंडियन ऑयल ने हाल ही में रुको (RUCO- REPURPOSE USED COOKING OIL) नाम की मुहीम शुरू की है. इसके तहत इंडियन ऑयल आम लोगों, दुकानदारों और होटल कारोबारियों को जागरूक करने की रणनीति पर काम कर रहा है. इंडियन ऑयल की ओर से तय बायोडिजल एजेंसी खाने के इस्तेमाल में आने वाले तेल को दुकानदारों से खरीदेगी और उसे बायोडीजल में कनवर्ट कर गाड़ी के इस्तेमाल में आनेवाले ईंधन का रूप देगी.
बायोडीजल केमिकल प्रोसेस से तैयार होता है, जिसे ट्रान्स एथेरिफिक्सेशन कहते हैं. इसके तहत ग्लीसरीन को फैट और वेजिटेबल ऑयल से अलग किया जाता है. इस प्रोसेस से दो प्रोडक्ट निकलते हैं. पहला, मिथाइल एस्टर, जिसे बायोडिजल कहते हैं, और दूसरा ग्लीसरीन, जिसे साबुन और दूसरे प्रोडक्ट बनते हैं.
आनेवाले समय में लोग बायोडीजल के प्रति सजग होंगे और खाने के तेल के सही इस्तेमाल का फैसला लेंगे.