HYUNDAI ने क्यों छोड़ा शाहरुख खान का साथ, बताई इसके पीछे की वजह
कंपनी का कहना है कि हम नई सैंट्रो को किसी बॉलीवु़ड अभिनेता की जगह फैमिली से जोड़ना चाहते हैं. इसलिए हमने तय किया है कि हम इस कार के किसी भी विज्ञापन में शाहरुख खान की झलक नहीं दिखाएंगे.
कोरियाई कार कंपनी ह्युंडई मोटर ने चार साल पहले बंद कर चुके अपने चर्चित कार सैंट्रो को हाल ही में फिर से नए अवतार में पेश किया है. लेकिन अब कंपनी का मानना है कि सैंट्रो अपने आप में एक ब्रांड है जिसे प्रोमोट करने के लिए इसके ब्रांड एंबेस्डर शाहरुख खान के बिना भी लोगों तक पहुंच जाएगी. विज्ञापन अभियान को मजबूती प्रदान करने के लिए आगे अब फिल्म अभिनेता की भूमिका की जरूरत नहीं है. कंपनी का ध्यान ग्राहक और उत्पाद पर है.
ऑरिजिनल सैंट्रो कार के विज्ञापन में शाहरुख खान नजर आते थे. नई सैंट्रो के 40 सेकेंड के विज्ञापन में फैमिली को दर्शाया गया है. लाइवमिंट की खबर के मुताबिक, ह्युंडई मोटर इंडिया लिमिटेड के सीनियर जनरल मैनेजर (मार्कटिंग) और ग्रुप हेड पुनीत आनंद कहते हैं कि नई सैंट्रो के साथ लोग खुद को जुड़ा महसूस कर रहे हैं. हम नई सैंट्रो को किसी बॉलीवु़ड अभिनेता की जगह फैमिली से जोड़ना चाहते हैं. इसलिए हमने तय किया है कि हम इस कार के किसी भी विज्ञापन में शाहरुख खान की झलक नहीं दिखाएंगे. नया विज्ञापन आम लोगों और एक परिवार से जुड़ा है.
शाहरुख ने बताया SANTRO को पसंद करने का राज
ह्युंदई मोटर्स ने 4 साल बाद अपनी लोकप्रिय कार सैंट्रो को नए अवतार में लॉन्च किया है. इस कार की लॉन्चिंग बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान ने की. वह करीब दो दशक से ह्युंदई से जुड़े हैं.
एक मीडिया रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया है कि किसी ब्रांड को एंडोर्स करते समय उसके ब्रांड एंबेस्डर को उस पर भरोसा होना चाहिए, तभी वह दूसरे को उसे खरीदने के लिए प्रेरित कर पाएगा.
बॉलीवुड अभिनेता ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि यह आपकी ईमानदारी पर निर्भर करता है. पेप्सी मैं पीता हूं और सैंट्रो को ड्राइव करता हूं लेकिन कई ऐसे प्रोडक्ट भी हैं जिनका ब्रांड एंबेस्डर बनने से पहले मैं उनका इस्तेमाल नहीं करता. मैं भाग्यशाली हूं मैं उन प्रोडक्ट को एंडोर्स कर रहा हूं जिनकी दुनिया में पहले से साख कायम है. एक साल में मैंने कई ऐसे उत्पाद ठुकराए हैं जिनकी मुझे जरूरत नहीं थी. हालांकि कुछ ऐसे ब्रांड भी हैं जिनका मैं इस्तेमाल नहीं करता लेकिन उन्हें एंडोर्स करता हूं. वहां ईमानदारी का सवाल है.
जब आप किसी से उसका इस्तेमाल करने को कहेंगे तो जरूरी है कि आप खुद उन पर भरोसा करें. ब्रांड एंडोर्समेंट की मेरी सिर्फ इतनी फिलास्फी (फलसफा) है कि मैं इसका इस्तेमाल करता हूं, अगर वह मेरे लिए अच्छी हैं लेकिन जरूरी नहीं आपके लिए भी अच्छी हो.