भारत में बैटरी आधारित बिजली से चलने वाले वाहनों (बीईवी) को भविष्य की एक मात्र अच्छी सवारी बनाने में बैटरी की आपूर्ति में अड़चनें आडे़ आ सकती हैं. एक विश्लेषण में यह बात कही गयी है कि ऐसे में हाइड्रोजन ईंधन चालित वाहन एक मजबूत विकल्प हो सकते हैं.

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परामर्श कंपनी केपीएमजी ने 'वाहन ईंधन: बहुध्रुवीय दुनिया की ओर दौड़' शीर्षक में कहा कि बैटरी आधारित विद्युत वाहन प्रौद्योगिकी मौजूदा समय में काफी उन्नत स्तर पर है और भविष्य में यह भारत जैसे देश के लिए स्वच्छ ईंधन की दिशा में बढ़ाने का विकल्प साबित हो सकता है. हालांकि, आपूर्ति संबंधी अड़चनों से इस पर असर पड़ सकता है. भारत में 2018 में लगभग 40 लाख यात्री कारों और कुल तीन करोड़ वाहनों का उत्पादन हुआ.

इतने बड़े बाजार के लिए बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की चुनौतियों पर रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के पास लिथियम , कोबाल्ट और निकेल जैसे कुछ महत्वपूर्ण पदार्थों का भंडार नहीं है. इन तत्वों का बैटरी विनिर्माण में इस्तेमाल होता है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक सेल विनिर्माण इकाइयां भारत से बाहर है. ऐसे में हमें आयात पर निर्भर रहना पड़ेगा यह बैटरी से चलने वाले वाहनों को अपनाने में बाधा बन सकता है. इसके अलावा, यदि चार्जिंग अवधि और पेलोड जैसे मुद्दों से जुड़ी दिक्कतों को दूर नहीं किया गया तो वाणिज्यिक और लंबी दूरी परिवहन में मुश्किल होगा. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी स्थिति में भारत में दूसरे दौर के इलेक्ट्रिफिकेशन में ईंधन सेल इलेक्ट्रिक वाहन (एफसीईवी) वैकल्पिक तकनीक के रूप में उभकर सामने आ सकती है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि जब दूसरे दौर का समय आएगा तब तक संभंव है कि हाइड्रोजन ईंधन-कोष वाले वाहनों से जुड़ी दिक्कतों को दूर कर लिया जाए. इसमें उच्च लागत शामिल है. इस समय तक यह तकनीक परिपक्व होने के निश्चित स्तर पर होगी और दुनिया के कई अन्य हिस्सों में इसका परीक्षण हो चुका होगा. बैटरी से चलने वाले वाहन इलेक्ट्रिक मोटर बैटरी से चलती है जबकि एफसीईवी में मोटर को ऊर्जा हाइड्रोजन से मिलती है.