अगर मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी रिन्यू कराने पर कोई आपसे प्रीमियम और ऐड ऑन कराने पर भारी छूट की बात करता है तो एक बार उस कंपनी के एजेंट के बारे में पूरी जानकारी जरूर जुटाएं. कुछ समय से देश में फर्जी मोटर इंश्योरेंस के मामले बढ़ रहे हैं. देश में तेजी से बढ़ रहे ऐसे मामले ने सरकार को भी चिंता में डाल दिया है. 

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खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद को बताया कि वित्त वर्ष 2019 में करीब 1200 फर्जी मोटर इंश्योरेंस के मामले सामने आए हैं. बीमा नियामक आईआरडीएआई के मुताबिक, पिछले जदो सालों में 53.7 करोड़ रुपये के फर्जी मोटर इंश्योरंस की बिक्री हो चुकी है. सबसे ज्यादा फर्जी पॉलिसी ट्रक और दोपहिया वाहन रखने वालों को बेची गईं. फर्जीवाड़े से बचने के लिए बीमा कंपनियां अब नए तरीके ढूंढ रही हैं.

कंपनी अब पॉलिसी पर फिक्स बार कोड्स और होलोग्राम दे रही है. एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के सीओओ अतुल देशपांडे कहते हैं कि आप पॉलिसी किससे खरीद रहे हैं, इसको लेकर आपको स्पष्ट हो जाना चाहिए. आप हमेशा मान्य और वेरिफाइड इंश्योरेंस एजेंट से ही पॉलिसी खरीदें. आप एजेंट से उसके बारे में प्रूफ भी मांग सकते हैं. उनका कहना है कि पॉलिसी के लिए पेमेंट चेक से करें या ऐसे माध्यम से करें जहां से मनी ट्रांसफर हो जाए.

एक डेटा के मुताबिक, देश में करीह 50 प्रतिशत दोपहिया बिना इंश्योरेंस के चल रहे हैं. इस वजह से नई गाड़ियों के लिए लॉन्ग टर्म थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को जरूरी किया गया है. आईआरडीएआई की जांच में पाया गया है कि ज्यादातर फर्जी पॉलिसी सेकंड हैंड गाड़ियों के लिए खरीदी गई हैं. एजेंट आरटीओ डेटाबेस के जरिये लोगों को फंसाते हैं. फेक पॉलिसी जारी करने के लिए जाली लेटर हेड और स्टाम्प का इस्तेमाल करते हैं. कंपनियां लोगों को जागरूक कर रही हैं कि थोड़े से पैसे बचाने के चक्कर में फर्जी पॉलिसी के चक्कर में न पड़ें.