सेकंड हैंड कार की बिक्री पर जीएसटी को लेकर सोशल मीडिया पर काफी बवाल हो गया है. सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर काफी विवाद हो रहा है. बता दें कि हाल ही में जीएसटी काउंसिल की ओर से सेकंड हैंड कार की बिक्री के मार्जिन पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने की फैसला सुनाया गया था. इसमें 1200CC या उससे अधिक इंजन क्षमता वाली पेट्रोल और डीजल गाड़ियां, 4000mm या उससे अधिक लंबाई वाली और 1500 CC या उससे अधिक इंजन क्षमता वाली गाड़ियां शामिल हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इस फैसले पर विस्तार से समझा गया था. हालांकि सरकार के इस फैसले को लोगों ने उचित ढंग से नहीं लिया और सोशल मीडिया पर इस फैसले की भरकर आलोचना की गई. अब एक जानकार ने इस फैसले पर सफाई दी है. उन्होंने बताया कि है सेकंड हैंड कार को बेचने पर किसे जीएसटी देना है और किसी नहीं?

मार्जिन कमाने पर ही देना होगा GST

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इस मामले से जुड़े एक जानकार ने सफाई देते हुए बताया कि रजिस्टर यूनिट को पुराने वाहन की बिक्री पर जीएसटी विक्रेता को मार्जिन यानी लाभ होने पर ही देना होगा। ‘मार्जिन’ का मतलब बिक्री मूल्य का वाहन के मूल्यह्रास (depreciation) समायोजित लागत मूल्य से अधिक होने से है. 

इन लोगों को नहीं देना होगा GST

बता दें कि जीएसटी परिषद ने पिछले सप्ताह अपनी बैठक में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) सहित सभी पुराने यानी ‘सेकेंड हैंड’ वाहनों की बिक्री पर जीएसटी की 18 प्रतिशत की एकल दर निर्धारित करने का निर्णय लिया. पहले अलग-अलग दरें लगाई जाती थी. अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को पुरानी कार बेचता है, तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा. 

मामले से जुड़े जानकार ने कहा कि जहां पंजीकृत इकाई ने आयकर अधिनियम 1961 की धारा 32 के तहत मूल्यह्रास का दावा किया है, ऐसी स्थिति में जीएसटी केवल आपूर्तिकर्ता के ‘मार्जिन’ वाले मूल्य पर देना होगा. ‘मार्जिन’ मूल्य ऐसे सामान की आपूर्ति के लिए प्राप्त कीमत और मूल्यह्रास मूल्य के बीच का अंतर है. उन्होंने कहा, ‘‘जहां ऐसा ‘मार्जिन’ मूल्य नकारात्मक है, वहां कोई जीएसटी नहीं लगेगा. Spinny, Cars24, Olx समेत अन्य ऐसी कंपनियों पर असर पड़ेगा

उदाहरण से समझे मामला

अगर कोई पंजीकृत इकाई 20 लाख रुपये की खरीद कीमत वाले किसी पुराने या सेकेंड हैंड वाहन को 10 लाख रुपये में बेच रही है और उसने आयकर अधिनियम के तहत उसपर आठ लाख रुपये के मूल्यह्रास का दावा किया है, तो उसे कोई जीएसटी नहीं देना होगा. इसका कारण यह है कि आपूर्तिकर्ता का बिक्री मूल्य 10 लाख रुपये है और जबकि मूल्यह्रास के बाद उस वाहन की मौजूदा कीमत 12 लाख रुपये बैठती है. इस तरह विक्रेता को बिक्री पर कोई लाभ नहीं मिल रहा है. 

यदि उपरोक्त उदाहरण में मूल्यह्रास के बाद मूल्य 12 लाख रुपये पर समान रहता है और बिक्री मूल्य 15 लाख रुपये है, तो आपूर्तिकर्ता के ‘मार्जिन’ यानी तीन लाख रुपये पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी देना होगा. किसी भी अन्य मामले में, जीएसटी केवल उस मूल्य पर लगेगा जो आपूर्तिकर्ता का ‘मार्जिन’ यानी बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य के बीच का अंतर है. फिर, जहां ऐसा ‘मार्जिन’ नकारात्मक है, वहां कोई जीएसटी नहीं लगेगा. 

एक और उदाहरण से समझे पूरा मामला 

यदि कोई पंजीकृत इकाई किसी व्यक्ति को पुराना वाहन 10 लाख रुपये में बेच रही है और पंजीकृत इकाई द्वारा वाहन की खरीद कीमत 12 लाख रुपये थी, तो उसे ‘मार्जिन’ के रूप में कोई जीएसटी देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस मामले में आपूर्तिकर्ता का ‘मार्जिन’ नकारात्मक है. ऐसे मामलों में जहां वाहन की खरीद कीमत 20 लाख रुपये और बिक्री मूल्य 22 लाख रुपये है, आपूर्तिकर्ता के ‘मार्जिन’ यानी दो लाख रुपये पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना होगा. 

ईवाई के कर भागीदार सौरभ अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी परिषद ने पुराने इलेक्ट्रिक और पेट्रोल-डीजल से चलने वली छोटी कारों पर जीएसटी दर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने की सिफारिश की है. इसे बड़ी कारों और एसयूवी के लिए निर्धारित दर के स्तर पर लाया गया है. ‘सेकेंड हैंड’ वाहनों पर जीएसटी केवल मार्जिन पर लागू किया जाएगा, न कि वाहनों के बिक्री मूल्य पर (बिक्री मूल्य से वाहन की आयकर मूल्यह्रास लागत या खरीद मूल्य को घटाकर). प्रस्तावित संशोधन से पहले, पुराने इलेक्ट्रिक वाहन पर जीएसटी वाहन के पूर्ण बिक्री मूल्य पर लागू होता था. अग्रवाल ने कहा कि इसलिए, प्रस्तावित बदलाव को पुराने इलेक्ट्रिक वाहन के लिए बाधा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. यह एक स्वागतयोग्य कदम है क्योंकि इससे पुराने इलेक्ट्रिक वाहन की लागत में कमी आने की संभावना है.