सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 22 मई 2020 को  बीएस 6 के लिए एल7 (क्वाड्रिसाइकिल) (खास तरह की छोटी कारें) क्लास के प्रदूषण मानकों के बारे में अधिसूचना जीएसआर 308 (ई) जारी की है. ये नियम नोटिफिकेशन की तारीख से ही लागू हो गए है. यह अधिसूचना भारत में सभी एल, एम और एन श्रेणी के वाहनों के लिए बीएस 6 मानकों के तहत प्रदूषण नियमों के लिए लागू होगी. बाकी सभी गाड़ियों के लिए ये नियम 1 अप्रैल से लागू हो चुके हैं.  

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बीएस नॉर्म्स क्या होते हैं

बीएस यानी 'भारत स्टेज' जिसे साल 2000 में पेश किया गया था. गाड़ियों में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इन मानकों को बनाया जाता है. समय-समय पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नए मानक जारी करता रहता है. बीएस के साथ जो नंबर होता है, उससे यह जानकारी मिलती है कि गाड़ी का इंजन कितना प्रदूषण फैलाता है. जैसे बीएस-3 से कम प्रदूषण बीएस-4 से होगा और बीएस-6 काफी कम प्रदूषण करेगा.   

धुंए के हैं कई नुकसान

देश में अभी भी काफी संख्या में बीएस-3 गाडियां सड़कों पर दौड़ रही हैं, और इनसे निकलने वाला धुआं हमारी सेहत के लिए काफी खतरनाक साबित हो रहा है. वहीं बीएस-4 से निकलने वाला धुआं कई गंभीर बिमारियों जैसे आंखों में जलन, नाक में जलन, सिरदर्द और फेफड़ों की बीमारी को जन्म देता है. ऐसे में जब देश में एक अप्रैल 2020 से सिर्फ बीएस-6 गाड़ियां चलेंगी, तो प्रदूषण पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकेगा. इसलिए सरकार ने देश में बीएस-4 के बाद सीधे बीएस-6 उत्सर्जन मानक लागू कर दिए.  

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बीएस-6 के फायदे

पेट्रोल वाहनों की तुलना में डीजल वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं. ऐसे में बीएस-6 लागू होने के बाद पेट्रोल और डीजल कारों के बीच ज्यादा अंतर नहीं रह जाएगा और इससे पेट्रोल कारों से 25 फीसदी और डीजल वाहनों से 68 फीसदी नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम हो जाएगा. सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार बीएस-6 ईधन से सल्फर की मात्रा बीएस-4 से पांच गुना तक कम होगी.   वहीं बीएस-6 वाहनों में एडवांस्ड एमीशन कंट्रोल सिस्टम फिट होगा.